कभी बूंद भर मोहब्बत भी बेशुमार थी, कभी मोहब्बत का समंदर भी फिका लगता है.. ये मोहब्बत भी कितना अजीब चीज है, कभी दुखो में एक आंसू भी नहीं निकलता, कभी खुशियों में आंखें बरसात आती है....
भीगती हुई सुबह और बादलों का गुनगुनाना बरसती हुई बरसात में मेरे संग तेरा भीग जाना फिर से याद आया मुझे वही दौर वही अफ़साना यूँ बरसात की बूंदों का तेरे ज़िस्म पर गिरकर मोती बन जाना।
वह पानी की बून्द हैं जो आँखों से बह जाये आँसू तो वह हैं जो तड़प के फिर बिछड़ जाये वह प्यार क्या जो एक लब्ज में बयान हो जाये प्यार तो वो हैं जो हमेशा आँखों मे नजर आये..!!♡
एक कोना दर्द का हमेशा छलक जाता है आँखों की पोर से, हो जाती है शबनमी मेरे गाल आँसुओं के बूँद से। जो हलचल मचती है दिल में इस कसक से ,उसका मै क्या करूँ तू ही बता ऐ जिंदगी !
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