इतना भी मत पिया कर मेरे दोस्त, की चाहनोवालो मे तेरी हसियत् ना रह जाये,
पिता तो है सारा जमाना मगर उनका भी जाम हमारे सर ना आ जाये....
दोस्तो की दुनियादारी में हम इस कदर मशरुफ हो रहे है,
जाम तो वो भी छलका रहे हैं ।
लेकिन उनकी आवाज तुम साझा करने मे लगे हो....
किस्मत और तकदीर मे हमने कई शाम रंगीन कीये है,
जरा उनसे भी पूछो मेरे दोस्त जिनके हाथ नहि होते उनकी भी तकदिर बदलते हमने देखी है....
जिंदगी को खेल समझ कर इसे यु ना बरबाद कर,
जिंदगी तो एक तोफा है , उसकी थोडीसी तो कदर कर....
अपनो को इतना भी पराया मत कर,
शराब तो एक बहाणा है,
घरवालों को भी थोडासा सुकुन दिया कर...
: श्रीराम देशपांडे_
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