याद आती है ममता प्यारी!!
याद आ रहे हैं आज मुझे फिर से, बचपन के प्यारे गुजरे पल!
माँ की अविरल बहती ममता, पिता जी का का प्रेम विकल!!
चुभे न कोई कांटा पैरों में, सारा रास्ता उन्होंने साफ किया!
मेरे रास्तों में फूल लगाए, खुद कांटो का दर्द दर्द लिया!!
जानने न दिया कभी दोनों ने, दुःख की घड़ी क्या होती है?
मैं भी पूछ न पाया कभी, आँखें उनकी क्यों रोती हैं?
सारी शरारत बचपन की, झेल गए वो हँस-हँसकर!
माँ की आंचल की छांव में, मुझे तनिक थी कहाँ खबर?
उंगलियों का दे सहारा, सिखाया मुझको रास्ता चलना!
जिनके ममता की आँगन में, सीखा मैंने गिरकर संभलना!!
अभावों में जी-जीकर दोनों ने, मेरे सुख के हर साधन जुटाए!
जीवन काट दी घिसी चप्पलों में, मेरे लिए नए जूते बनवाये!!
जहाँ तक संभव हो सका, मेरी सारी जिंदे पूरी की!
मैं मचलता रहा हरदम, काश! समझता उनकी मजबूरी भी!!
दुःख से तप्त दग्ध हो कर भी, मुझको दीं खुशियाँ सारी!
संघर्ष के पलभर फुर्सत में, याद आती है ममता प्यारी!!
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