पूछीं जो मैं फिर आज खुदा से,
क्यों हूँ मैं हमेशा सबसे ज़ुदा सी......
जिनकी खुशियाँ मैं हमेशा दुआओं में मांगती हूँ,
क्यों उनके दुख का कारण मैं ही बन जाती हूँ......
जिनकी सलामती ही सबकुछ है मेरे लिए,
आज वो ही असलामत हैं मेरी वजह से.......
वह तो हमेशा जैसे आज भी खामोश थे,
लेकिन आज वहां कुछ खास एहसास थे......
इन एहसास ने मुझे इस बात से रूबरू कराया,
कि जिन आदतों को आजतक,
मैं अपनी नादानियां समझती थी......
औरों के लिए वह एक गुनाह सी थी.....
शायद यही थी वजह ,
मेरी सबसे ज़ुदा होने की......
और अपनों का विश्वास खोने की.......
-Pro........
-