आज फिर यादों से रूबरू होने गया था आज फिर बिना उसके उसीसे मिलने गया था लोगों ने बहुत समझाया कुछ नहीं है वहां तू क्यों जाता है मैने कहा आंख से आंसू निकाले गम को गले लगाने गया था
बेसबब यूंही सरे आम निकल आते हैं बुलाए तो उन्हे काम निकल आते हैं तेरे गलियों में आने जाने से दुश्मनी हो गई ज़माने से आज होके दीदार दे रहा है सदा मिलने आजा किसी बहाने से
लापरवाही है हम सब पर तारी दोस्त मार ना डाले हमको ये बीमारी दोस्त इस डर से अब जीना छोड़ चुके है लोग कब आजाए जाने किसकी बारी दोस्त और लकड़ी से लेकर समसान तक तैयार है सब करना है अब मरने की तैयारी दोस्त