Swakeeya ..   (Swakeeya)
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Joined 17 February 2021


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Joined 17 February 2021
4 MAY AT 16:20

मेरी तन्हाइयों को
पसंद है
मेरा साथ
एक चाय..
किताब...
और .......

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30 APR AT 16:02

सुकून है!

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27 APR AT 23:12

आँखों में चुभ रहा है गम
चुभन से पलकें भारी हैं
इतनी कि मुश्किल से खुल रही हैं
यूं जैसे उनींदी हों जन्मों से
थकी पथराई उस रास्ते की तरह
जो मीलों तक सन्नाटे में तरु दल की
सांय सांय सुनता है
पथिक प्रतीक्षा में किनारे खड़े पेड़ों ने
अपनी सारी पत्तियां गिरा दी है

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27 APR AT 15:47

अतिसंवेदनशीलता और भावुकता
मूर्खता है!
कष्टों का मूल है, पीड़ा का अनंत पथ है!
... सो ऐसे हृदयों को कुटिलता, ढीठता,
मृदुभाषिता और निज स्वार्थ
सर्वोपरि रखने का पाठ सीखने की
नितांत आवश्यकता है!

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27 APR AT 5:25

कुछ कहने ना कहने से
क्या होता है!
.

कुछ कहने ना कहने से
बहुत कुछ होता है!


(शेष अनुशीर्षक में)

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24 APR AT 16:38

ख़्वाब ए ज़िंदगी,


सवाब ए बंदगी !

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23 APR AT 1:35

रे मन!
पथ थाम,
बांध भ्रमित दृग - चितवन!
पट जाम,
साध व्यथित हृदय - स्पंदन!
पग घाम,
उद्धृत उच्छवास प्राण- निकंदन!

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22 APR AT 8:19

कहते हैं के चाय बुरी चीज़ है
छोड़ क्यूं नहीं देती!
मैंने कहा,एक ही तो इश्क है
वो भी छोड़ दूं क्या!

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18 APR AT 23:24

जीवन का
अंतिम लक्ष्य
अंतिम कामना
प्रारब्ध से
अंतिम निवेदन.........

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17 APR AT 23:59

ये बेवजह के रतजगे,
आस की चाशनी में, हैं पगे..

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