स्वपनिलसांईं   (स्वपनिलसांईं)
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एक अत्यंत पागल तथा हिला हुआ व्यक्तित्व
Joined 17 October 2020


एक अत्यंत पागल तथा हिला हुआ व्यक्तित्व
Joined 17 October 2020

सारे विपक्षियों को कुचल दूंगा
ना खाऊंगा ना खाने दूंगा
अगर खाना है तो मेरी पार्टी में आना होगा
मेरी पार्टी में बलात्कारी भी भगवान है
मैं हूं तानाशाह
राज सिर्फ मैं और मेरी पार्टी ही करेंगे
जनता को मुफ्त तो मुफ्त की रेवड़ी
और मैं अपने खास मित्रों को
भले देश की सम्पत्तियां दान में दे दूं
मैं हूं नरेन्द्र दामोदरदास मोदी

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श्रद्धा_सबूरी
"शुन्य हो जाना ही
सम्पूर्ण हो जाना है"
"बुद्धि का शुन्य इस्तेमाल ही
बुद्धि का सम्पूर्ण इस्तेमाल है"

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श्रद्धा_सबूरी
"इंसान" यह राक्षस प्रजाति का नाम है
इन राक्षसों के देवी देवता हैं शिर्डीसॉंईं, राम, कृष्ण, अल्लाह, यीशु, नानक, बुद्ध, महावीर, शिव-शक्ति, इत्यादि इत्यादि
बाकि सारे अन्य जीव इंसान की तुलना में उच्चतम तथा श्रेष्ठतम हैं

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श्रद्धा_सबूरी
वस्त्र चाहे जैसे भी हो
नए ; पुराने ; फटे-कटे ; मटमैले ; गंदे या स्कूल के
वस्त्र केवल शरीर की सुरक्षा के लिए हैं
वस्त्रों से किसी का ऑंकलन करना है गलत तथा परिणाम ऑंकलन करनेवाला स्वयं भुगतता है

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श्रद्धा_सबूरी
शरीरयुक्त "मैं"
अहंकारसहित "मैं"
शरीर से परे "मैं"
अहंकाररहित "मैं"

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श्रद्धा_सबूरी
दिसम्बर 2019 से दिसम्बर 2022 को कोरोनाकाल कहने से अच्छा उसे विश्व की राजनीति का कालाकाल कहना श्रेष्ठतम क्योंकि राजनीति ने ही कई लोगों को मारा है और मार रही है

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श्रद्धा_सबूरी
दुल्हन को तुम लक्ष्मी मानते हो और लक्ष्मी के साथ यौनसंबंध बनाते हो...
बच्चों को तुम ईश्वर बताते हो और ईश्वर को अपने हिसाब से ढालना चाहते हो...

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श्रद्धा_सबूरी
"Marriage is the Commitment for life"
This Itself Means That
"Marriage is the Sadness of Life"

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श्रद्धा_सबूरी
ज्यादा पढ़ाई जाहिल गंवार बुद्धि बनाती है क्योंकि ज्यादा पढ़ाई जीवों पे अत्याचार करना सिखाती है
जाहिल गंवार इंसानों से भरा राज्य केरला

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श्रद्धा_सबूरी
मुसलमानों - ईद पे किसी और प्रजाति का मांस क्यों ?
अरे अपनी स्वयं की प्रजाति का मांस खाओ ।
हिंदुओं - मुर्तियों पे दूध किसी और प्रजाति का क्यों ?
अरे अपनी स्वयं की प्रजाति का दूध चढ़ाओ ।
सिक्खों - चिकन खाने कि बजाए अपनी स्वयं की प्रजाति को खाओ ।
"ऐ इंसान तुझे जो करना है अपनी स्वयं की प्रजाति के साथ कर, दूसरे की प्रजाति के साथ छेड़छाड़ का तूझे कोई हक नहीं"

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