मेरे देश पर ओ मरने वालों , ये मिट्टी तुमको याद करे
ये खड़ा हिमालय याद करे, गंगा मिलने फरियाद करे
चौखट पे खड़ी तेरी प्यारी बहन ,आंखो में तेरा इंतज़ार लिए
तू तोड़ गया जिस डोर को इकपल में
उस राखी में लिपटा प्यार लिए
देती है दूआएं लिख लिख कर खत ,
इस देश को तू आबाद करे
मेरे देश पर ओ मरने वालों ये मिट्टी तुमको याद करे
जो सपूत वतन पर जां देते, उनकी माएँ कैसी होती है
सर फक्र से ऊंचा रहता है ,और आंखें चुप चुप रोती हैं
वीर जन्म कर, सौंपे सीमा पर,फिर लाल पे अपने नाज़ करे
मेरे देश पे ओ मरने वालों ,ये मिट्टी तुमको याद करे
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