माँ तू कहाँ हैहर क़दम जो तूने चलना सिखाया है, हर बात मुझे याद है जो तूने पढ़ाया है। तेरे जैसा न कोई है न और कोई होगा, हे माँ तूने ज़िंदगी दी तूने जीना सिखाया है। -
माँ तू कहाँ हैहर क़दम जो तूने चलना सिखाया है, हर बात मुझे याद है जो तूने पढ़ाया है। तेरे जैसा न कोई है न और कोई होगा, हे माँ तूने ज़िंदगी दी तूने जीना सिखाया है।
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माँ का प्यार माँ का दुलार, ज़िंदगी को देता है रफ्तार। आशीष सिर पर रख दे तो, ऐसे मिल जाता है रफ्तार। -
माँ का प्यार माँ का दुलार, ज़िंदगी को देता है रफ्तार। आशीष सिर पर रख दे तो, ऐसे मिल जाता है रफ्तार।
इन आँसुओं का क्या वो तो बेवज़ह तपकने लगते हैं, दर्द जब भी बढ़ जाता है माँ के हाँथ सिर पर झरने लगते हैं। -
इन आँसुओं का क्या वो तो बेवज़ह तपकने लगते हैं, दर्द जब भी बढ़ जाता है माँ के हाँथ सिर पर झरने लगते हैं।
वज़ह ज़िंदगी का कुछ ऐसा हो, खुबसूरत और सूरत तेरे जैसा हो। बिना रुके चल जायेगी ये ज़िंदगी, जब किनारा ज़िंदगी का तेरे जैसा हो। -
वज़ह ज़िंदगी का कुछ ऐसा हो, खुबसूरत और सूरत तेरे जैसा हो। बिना रुके चल जायेगी ये ज़िंदगी, जब किनारा ज़िंदगी का तेरे जैसा हो।
देखो आँखों में चुभ रहा है जिंदगी के ग़म, इस तरह निभा रहे हैं ज़िंदगी के सारे ग़म। -
देखो आँखों में चुभ रहा है जिंदगी के ग़म, इस तरह निभा रहे हैं ज़िंदगी के सारे ग़म।
रात बीती मगर सुबह न हो सका, अंधेरा उजालों में तब्दिल न हो सका। उम्मीद का दीया जलता रहा रात भर, इनायत ख़ुदा का फाज़िल न हो सका। शफ़क़ के किनारों में ढूँढते रहे अक़्स, दीदार तो दूर कुछ हासिल न हो सका। -
रात बीती मगर सुबह न हो सका, अंधेरा उजालों में तब्दिल न हो सका। उम्मीद का दीया जलता रहा रात भर, इनायत ख़ुदा का फाज़िल न हो सका। शफ़क़ के किनारों में ढूँढते रहे अक़्स, दीदार तो दूर कुछ हासिल न हो सका।
वफ़ा की चाहत में हम जीते रहे, तेरे दिये दर्द के आँसू हम पीते रहे। यूँ तो अक्सर मिल जाते हैं राही, मगर ज़िंदगी में तन्हा हम जीते रहे। -
वफ़ा की चाहत में हम जीते रहे, तेरे दिये दर्द के आँसू हम पीते रहे। यूँ तो अक्सर मिल जाते हैं राही, मगर ज़िंदगी में तन्हा हम जीते रहे।
ज़िंदगी के इस पड़ाव का, एक दौर ऐसा भी था। छोड़कर सब आगे निकल गए, तन्हाई का एक दौर ऐसा भी था। -
ज़िंदगी के इस पड़ाव का, एक दौर ऐसा भी था। छोड़कर सब आगे निकल गए, तन्हाई का एक दौर ऐसा भी था।
गर मेरा साया बात करता तो ज़रुर कहता, तन्हा छोड़ गए सब और उन्हे मगरुर कहता। मगर छोड़ न सकूँगा ज़िंदगी भर तुझे, जन्म भर साथ निभाने की बात ज़रुर कहता। -
गर मेरा साया बात करता तो ज़रुर कहता, तन्हा छोड़ गए सब और उन्हे मगरुर कहता। मगर छोड़ न सकूँगा ज़िंदगी भर तुझे, जन्म भर साथ निभाने की बात ज़रुर कहता।
दामन खाली है मेरा दिल के गलियारों में, न हमदम न रहबर है ज़िंदगी के पहरों में। -
दामन खाली है मेरा दिल के गलियारों में, न हमदम न रहबर है ज़िंदगी के पहरों में।