तू वक्त दे या न दे मोहब्बत तो तुझसे ही है चाहे हर लम्हा सोचूँ पर ख़्वाब तो तेरे ही रचती हूँ तू जितना भी वक्त दे हर किसी को हर पल तुझमें भी एेतबार तो मुझसे ही है
ना मिलन की ख़्वाहिश ना बिछड़ने का डर...... ना पाने की जल्दी ना खोने का गम....... ये ऐसा रिश्ता हो, कि जिसमें जिंदगी....... मतलब नहीं, बेमतलब सी हो जाये....... जरूरत नहीं, पर जरूरी सी हो जाये.........
मेरी खुद की तलाश पूरी न हुई थी...... और तुम, मुझे आंकने लगे..... सोचती हूँ ,,क्या परखा होगा तुमने मुझे..... जो इस अधूरी सी जिंदगी में, यूं झांकने लगे.....
बैठ जाना बेशक मेरे साथ कंबल में,, मुझे बुरा नहीं लगेगा........ गर तेरे हाथ ठंडे भी लगे मेरे गर्म हाथों में,, मुझे बुरा नहीं लगेगा........ एक दफा मेरी बात मान कर वापस तो आ जाओ ,, फिर जिंदगी भर नाराज़गी जताना,, मुझे बुरा नहीं लगेगा........
लम्हे दर लम्हे गर हम तुम्हे भूल जायें ........ तो गलतियों का एहसास कैसे रहेगा ........ तुम चाह लो कि हम तुम्हे भुला दें........ पर अगर मैंने भुलाया ,,, तो तुम्हारी जुबां पर मेरा नाम कैसे रहेगा.......