sunshine   (sunshine)
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scribing myself
Joined 7 October 2022


scribing myself
Joined 7 October 2022
26 APR AT 16:51

आज शोर भी मचायेगे और पुतले भी जलाएंगे
आफिया के इन्साफ को गुहार सब लगाएंगे
ना जाने कहां कितनी आफिया होंगी
कोन झूलस कर मर गई होगी
कोन मौत को तरसती होगी
कोन पिता के समान के खातिर
मुह सिल कर बैठी होगी

आख़िर कब तक....
कब तक इन्साफ की मांग करोगे
और उनका क्या जो दिखी नहीं अँधेरों में
सबक ले इन बातों से
क्यू ना बेटी को सक्षम बनाये
दहेज में देने वाले पैसे से
क्यू ना उसको खुद कामना सिखाये
कमाई ना सिर्फ पैसे की आत्म समान की
जो लड़ सके खुद के खातिर ऐसे स्वाभिमान की

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19 APR AT 8:49

हम कुछ दिन मैदान-ए-जंग से गायब क्या हुए
लोगों ने हमें हारा हुआ समझ लिया

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30 MAR AT 23:37

the ebb and flow of the tide, sometimes overwhelming and tumultuous, other times calm and peaceful.

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22 MAR AT 8:20

Unstoppable and flexible to every hurdles

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17 MAR AT 23:00

A new chapter of life's book

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16 MAR AT 21:34

Fighting with hear, soul and mind

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16 MAR AT 21:30

Building an unbreakable mirror which reflects happiness

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16 MAR AT 21:23

यूं लिख लेती हूं मैं
लफ्ज़ पन्नों पर उतरने को
कभी दिल के एहसास बताने को
तो कभी खुद को आजमाने को
लिख लेती हूं दिल बहलाने को
कुछ उलझने सुलझाने को
या अनकही बातें समझने को

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14 MAR AT 23:14

वह रुह परिंदों वाली थी
पर रात दरिंदों वाली थी
रूह भी उसकी चीखी थी
आंखें भी उसकी भीगी थी
जब नोच खाया दरिंदों ने
तब शोर मचाया परिंदों ने

गलती उसकी थी
जो वह उड़ने की चाह रखती थी
वह तो घर पर भी बैठ सकती थी
खोफ खाए राजा थे
उसकी उड़ान से घबराए थे
जो ना उड़ सके उसे ऊंचा
तो पंख उसके कटवाए थे

उनकी कोशिश नाकाम होगी
उसकी उड़ान कामयाब होगी
वह रूह परिंदों वाली है
वह कहां घबराने वाली है
रात चाहे लाख दरिंदों वाली है
पर वह भी तो
हौसलों की सुनामी है

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12 MAR AT 19:57

A daily visiting opportunity

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