मैं तो जी, हूँ रहा, हाँ इक सहरा, की तरह
तुम जो हो, जीने की वजह, हाँ इक, सावन की तरह
भीगती, हैं ये, जब मेरी धड़कनें, तो होती हैं जवाँ
बरसते ही रहना, ओ इश्क मेरे, तू ही तो है, मेरा ख़ुदा
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मैं तो जी, हूँ रहा, खामोशियों में बहती, इक शब की तरह
लिपटी है, इक काली चादर, मेरे एहसासों से, हाँ अब यहाँ
तू रौशनी, हाँ पूरे चाँद की, बन के यूँ, हाँ मेरी चाँदनी
आ गई हो, ज़िन्दगी में, महकते यूँ, हसीं पलों की तरह
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मैं तो जी, हूँ रहा, तपते अँगारों सा, इन शोलों की तरह
ज्वाला ये, दहकती ही है जाए, मुझ में, ज्वालामुखी की तरह
तुम बन के, इक कतरा, मिल जाओ, शबनम का ओ सनम
बुझ जाएगी यह तपिश, जैसे सहरा में, बहता मिले, कोई चश्मे की तरह
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मैं तो जी, हूँ रहा, भटका कारवाँ से, इक बनजारे की तरह
ढूँढता हूँ, मैं वो साथी यहाँ, जो दिखा दे, मंज़िल का रास्ता
तू ही तो है, मंज़िल मेरी, तुम से ही मिलेगा, वो प्यार का कारवाँ
आ चल, मिलाएँ कदमों से कदम, पा लें, हम अपना आसमाँ
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मैं तो जी, हूँ रहा, प्रेम पथ पर, इक बेचैन, रूह की तरह
पाने की धुन है तुम को, सागर से मिलने की, इक नदिया को, जिस तरह
तुम ही तो हो मेरी राधा, जिसके बिना, ये श्याम है तेरा आधा
ऐसा रिश्ता, है रूह का, तेरा मेरा, जैसे धड़कन हो, राधा की, कान्हा की तरह
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मैं तो जी, हूँ रहा, तेरी यादों में बहता, इक नदिया की तरह
इन लहरों, में आ मिल जाओ, सुर सरगम की तरह
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