मिट्टी की सोंधी सी खुशबू से
हाथों पर जल के कुछ छीटो से
मन की दीवारों पर रेत से घर बनाते है
कुछ चले गये थे घर से,मन की दिवारे लेंकर
अब लौटकर फिर से खुशनुमा बागान बनाते है
क्या रखा है शीशमहल में ?
अब फिर से रेंत का घर बनाते है
जिसमे अपनेपन का लेंप किया हो
जिसके आंगन की दीवारों को
समता और ममता से सजाते है
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