Sumit Vatsa   (Sumit Vats)
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Joined 4 February 2019


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25 JAN 2023 AT 23:53

हे वीणा पुस्तक धारणी,
मुझ अज्ञानी को भी थोड़ा ज्ञान दो,
आया हूँ दर पे मैया चरणों में स्थान दो,
हो गयी भूल जो माफ् करना, अभी तो नादान हूँ,
फिर से ना हो भूल कोई बस इतना वरदान दो।

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14 OCT 2022 AT 22:13

जी रहा था पहले भी, तेरा आना जरूरी था
आ गयी कोई बात नहीं, ख्वाब दिखाना जरूरी था
भूलकर उन्हीं ख्वाबों को मेरी जाना, जाना जरूरी था
चली गयी सह लिया, जाते हुए मुस्कराना जरूरी था

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8 FEB 2022 AT 11:32

मेरे मन मंदिर के आँगन में,
हर रोज तेरे नाम से सवेरे हो।
देख लिया सारे मोह के बंधन,
महादेव तुम ही सिर्फ मेरे हो।
🙏 #Propose Day🙏— % &

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19 APR 2020 AT 12:47

बैठा था फुर्सत से पुरानी यादों को कुरदने कौन आया है?
बहुत दिनों बाद आज फिर से उसका फोन आया है।
सवाल था उसका कैसे हो तुम?
मैंने कहा वैसा ही जैसे हो तुम,
ना जाने उसने क्या सोचा फिर बोला,
बदले नहीं वैसे के वैसे हो तुम,
सीधी बातों का कभी सीधा जबाब नहीं देते,
बोल ना सकते थे सीधा तो चुप ही रह लेते,
मुझे देखो मैं तो जमाने के साथ ढ़ल रही हूँ,
बदलते वक़्त के साथ खुद को बदल रही हूँ।
सचमुच बदल तो वो गयी थी,
खड़ा हूँ आज भी वहीं जहाँ तुम छोड़ गई थी,
पर बदलूँगा मैं भी अब बचा ना कोई मोह माया है,
ठीक है फोन रखो लगता है तुम्हारा वक़्त जाया है।
सूरज की तपतपाहट से तो हर कोई जलता है,
फिर भी ना बदला वो अबतक वैसे ही चलता है।
उसे पता है सच है वो,
तभी तो सबसे अलग है वो,
हर शुबह, शाम, दोपहर एक रात में बदलता है,
पर इससे भी तेजी से यहाँ इंसान बदलता है।
फूल कभी खुशबू पे अपनी हैं नहीं इठलाते,
मैं भी तो बदल गया हूँ ये कैसे बतलाते,
बदलते वक्त के साथ सबकुछ हैं बदले जाते,
बदल दिया मैंने भी सबकुछ पर वो गम ना बदलते जाते।
मेरी फुर्सत को फुरकत में बदलने कौन आया है?
बहुत दिनों बाद फिर उसी का फोन आया है।।

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25 MAR 2020 AT 13:39

त्राहि माम्, त्राहि माम्, तुम कहाँ छिपे हो राम?
पुकार रही है धरती सारी दर्शन दो हे भगवान।।
जब जब विपदा में पड़ी धरती तुम्हीं ने लाज बचाई,
हर युग में आ आकर ज़ुल्म से थी तुम्हीं ने निजात दिलाई।
त्रेता में रावण को मारा, कंस का द्वापर में संघार किया,
कलयुग में आ पड़ी है विपदा क्यों ना इसपे तुमने विचार किया,
इस बार का दुश्मन है गहरा, तेरे बच्चों के जान पे आई है,
CRONA नामक महामारी के भय ने तेरी याद दिलाई है।
हमको है तुम्हीं ने बनाया इस बात क्यों भूल जाते हो?
अपने ही बच्चों पे हे राम क्यों न तरस अब खाते हो?
की थी गलती, अब सिख लिया, फिर से ना दोहराऊंगा,
अब भी ना आओगे तो बेशक़ तुझको भी भूल जाऊँगा।
देख तो रहे होगे ही कि क्या क्या हमने खोया है,
कौन पिता होगा ऐसा जो बच्चों के दुःख में ना रोया है।
दया दिखाओ फिर आ जाओ सदा तेरी जय जयकार हो,
आ गया समय की कलयुग में भी प्रभू फिर तेरा अवतार हो।।

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9 FEB 2020 AT 22:31

ना किसी को प्यार से मिलते देखा,
ना प्यार से बातें करते हुए,
ना भूखे पेट को भरते देखा,
ना मदद को हाथ आगे बढ़ते हुए,
आपसी द्वेष से जल रहे सब,
पता नहीं कुदरत का ये कौन सा नगीना है?
सबके मुख से सुनते देखा ये प्यार का महीना है।
--वैलंटाइन आजकल--

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8 FEB 2020 AT 22:01

क्या दो दिलों के मिलने का जबाब हूँ मैं?
क्यों आशिकी और पूजा के बीच का कबाब हूँ मैं??
माना कि तुम भक्त भी ठहरे, नबाब भी ठहरे,
पर ये मत भूलो की खुद में गुलाब हूँ मैं।।
--टूटे गुलाब की व्यथा--

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30 JAN 2020 AT 8:31


हे वीणा पुस्तक धारणी,
मुझ अज्ञानी को भी थोड़ा ज्ञान दो |
आया हूँ दर पे मैया चरणों में स्थान दो,
हो गयी भूल जो माफ् करना, अभी तो नादान हूँ,
फिर से ना हो भूल कोई बस इतना वरदान दो ||

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30 MAR 2019 AT 8:15

अरमान
कोई मिले तो लगे अब ये सफर कट जाएगा
जो अब तक बिताया है तन्हा यादों के सहारे,
जब मिलो तो मुझे आगोश में लेना
फिर कानों में मेरे चुपके से कहना मैं कुछ भी नहीं बिन तुम्हारे,
इशारों से मुझे लगता है डर, खामोशी को भला कौन समझ पाया
हुआ ना कोई ऐसा वीर जो इन उलझनों से बच पाया,
तुम ना करना ऐसा कुछ देना अपनेपन का कोई वफ़ा
पाकर तुझको बस लगे कि मेरे जीवन की है तोफा,
कई कागज़ी चेहरे पढ़े कई रेत के धूल
इन्हीं चन्द लोगों में गया था खुद को भूल,
जीवन में मेरे एक बाढ़ सी आना उन यादों को बहाकर ले जाना
जिस याद ने मुझको छोड़ा नहीं बना दिया बेगाना,
पता नहीं क्यों इतना सब कुछ मिलता है इंसानो को
आखिरी उम्मीद है तुमसे ना तोड़ जाना अरमानों को।।
After Some time, Started writing for my Love will be somewhere.

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10 MAR 2019 AT 10:38

उल्फत मेरी की तेरे चाहत की कश्मोकश में मर जाऊँ,
जो मिटा दे आपकी यादों को उस वक़्त से डर जाऊँ,
ना मिले तू तो तेरी चाहत के गम से मरूँ,
गर पा लूँ तुझे तो फिर तेरे होने के गुरुर से मर जाऊँ।

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