संस्कारों की मौत हो गई
पुलिस नाकाम
कातिल तलाश करने में
सभ्यताओं, मर्यादाओं की चोरी हो गई
यहाँ भी पुलिस नाकाम
चोर ढूढ़ने में
अंधेरे बढ़ रहे
रोशनी लुप्त हो गई
सब हैरान परेशान
झूठ हंस रहा
सच को कर परेशान
आशा की एक किरण कहीं टिमटिमा रही
वजूद को तलाशती
सब मौन, अंधे, गूंगे, बहरे
सन्नाटा चिख चिख चिल्ला रहा
नारी..! नारी के लिए आज मौन
पाप के पोषण में तल्लीन
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