हम उनसे मिले भी नहीं है अभी तकधड़कने लगा जोड़ से दिल अभी से। -
हम उनसे मिले भी नहीं है अभी तकधड़कने लगा जोड़ से दिल अभी से।
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भाग कर के बता तू कहाँ जाएगी ढूंढ़ लेगी तुझे तू जहाँ जाएगीजिंदगी दर्द है दर्द ही ज़िन्दगी जिंदगी भर न दर्द-ए-निहाँ जाएगी। -
भाग कर के बता तू कहाँ जाएगी ढूंढ़ लेगी तुझे तू जहाँ जाएगीजिंदगी दर्द है दर्द ही ज़िन्दगी जिंदगी भर न दर्द-ए-निहाँ जाएगी।
अजनबी रहते हैं दिसंबर भरदोस्ती अगले साल करते हैं। -
अजनबी रहते हैं दिसंबर भरदोस्ती अगले साल करते हैं।
सारी कुम्ब की इज़्ज़त कोमेरे मत्थे मलता है।हया नहीं है लड़कों में क्या वो इतना नंगा है। -
सारी कुम्ब की इज़्ज़त कोमेरे मत्थे मलता है।हया नहीं है लड़कों में क्या वो इतना नंगा है।
जो भी है बोल दे ख़ुदा से तूसामने दिख नहीं रहा तो क्या। -
जो भी है बोल दे ख़ुदा से तूसामने दिख नहीं रहा तो क्या।
सोंचने पर मजबूर हुई हूँआज़ादी क्या लड़कों का है? -
सोंचने पर मजबूर हुई हूँआज़ादी क्या लड़कों का है?
जो चेहरा जितना हँस्ता हैअस्ल मे उतना ही टूटा है।कौन बने हमदर्द यहाँ परहर कोई तो इक जैसा है।इक दूजे से जलते हैं सबइक दूजे से मन मैला है।किन दूजे की बातें हैं ये क्या तूने खुदको देखा है।सब तो है ही मक्कार 'सबा'तू कहाँ किसी से कम सा है। -
जो चेहरा जितना हँस्ता हैअस्ल मे उतना ही टूटा है।कौन बने हमदर्द यहाँ परहर कोई तो इक जैसा है।इक दूजे से जलते हैं सबइक दूजे से मन मैला है।किन दूजे की बातें हैं ये क्या तूने खुदको देखा है।सब तो है ही मक्कार 'सबा'तू कहाँ किसी से कम सा है।
दिल के जज़्बात उतारूँ कैसेजो है दिन रात उतारूँ कैसे।मुझको डर है के समझ लेगा कोईयूँ ही हर बात उतारूँ कैसे। -
दिल के जज़्बात उतारूँ कैसेजो है दिन रात उतारूँ कैसे।मुझको डर है के समझ लेगा कोईयूँ ही हर बात उतारूँ कैसे।
झांकती हूँ जब भी खिड़की से तो घर लगता है पिंजरा है| -
झांकती हूँ जब भी खिड़की से तो घर लगता है पिंजरा है|
जो सोचा तो महसूस होने लगा येख़ुदी खुदको ही मार कर बैठी हूँ मैं| -
जो सोचा तो महसूस होने लगा येख़ुदी खुदको ही मार कर बैठी हूँ मैं|