Sukun ✍   (सुकून!)
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Joined 1 August 2018


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4 HOURS AGO

आँखों में सैलाब लिये रात को निकला हूँ मैं
शराफत से चला दिन में कई बार छला हूँ मैं।
बस एक मेरा साया ही मेरे साथ चलता रहा
वो भी ना मिला जिसके लिए निकला हूँ मैं।
दोपहर में खुद का साया भी सिमट जाता है
गर्मी से बेहाल बादल चला आता बरसात में
रहमत की आस लिये तेरे दर पर नजर लगी
तेरे गमों को क्या समेटा खुद बिखर गया मैं।
महफ़ूज हूँ खामोशी की पनाह में सुकून है
इस रात खुद की चीख से दूर जा रहा हूँ मैं।

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9 HOURS AGO


मुसाफिर तुम अकेले नहीं हो
इस रास्ते में ऐ हमसफ़र
क़ाफ़िला अपनी यादों का
पहूंचा देगा वफा की मंजिल पर

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3 MAY AT 21:23

हम साए में उनके ऐसे छुपे
खुद का वजूद ही गुम कर दिए।

वो नाराजगी से आए और बडबडाए
तुम हमारे वजूद पर काबिज क्यों हुए।

मोहब्बतें तुमसे तुम्हारी नजर से
तुम भी तो अब हमारे हुए।

अर्रे जाओ कहीं और जताओ
मोहब्बत है क्या हम नहीं जानते।

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3 MAY AT 17:05

खैर छोडिए, हम मोहब्बत की बात नहीं करते
तवज्जो क्यों दें इश्क़ को जो यूँ दु:ख दे!

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2 MAY AT 19:21

दूर तो रहे पर अकेले नहीं
दिल की बातें दिल तक पहुंचती रही।
नेटवर्क की रुकावट कभी आई नहीं
दिलों की धड़कन टकराती रही।
बा-वफा रहे
बेवफाई नहीं।
दिलों का चमन महकता रहा
समझदारी का दायरा बढता रहा।
सिमटकर रह गए बातों के बवंडर
दिमाग में दिल प्यार दिल के अंदर।
यादें ही अब मिलन का जरिया
नाजुक सा रिस्ता मीलों की दूरियाँ।
फिर भी मुलाक़ात दिल की दिल से
दिन ऐसा ना देखा जब ना मिले।

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2 MAY AT 17:35

इन्तजार तेरे आने का सुबह तक रहा
ये कैसा खुमार है तू आ कर जा चुका!

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1 MAY AT 21:19

ज़िन्दगी के साथी
जिन्दगी की राहें
जो बचपने से लेकर
मंजिल तक निभाएँ
बदलती रहती है
सूरत-ए-हाल ज़िन्दगी
कदम कदम पर राहें
मोड़े कई बार ज़िन्दगी
जो साथ चलता जाए
कदम से कदम मिलाए
सुकून जिसके साथ से
ज़िन्दगी में आए
वो ज़िन्दगी के साथी
जिन्दगी में भाएं।

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30 APR AT 20:22

टूट गई उम्मीद और यक़ीन ना रहा
घाव दिया ऐसा जो नासूर बन गया।
उम्मीद ए वफ़ा उनसे यक़ीन हो कैसे
वफ़ा क्या चीज जिनको नहीं पता।
चाँदनी पर भी अब यक़ीन हो कैसे
जरूरत आई तो बादल में छुप गया।
आँखों से आँसू ही निकल रहे न खून
गम़ ए ज़िंदगी से यक़ीन उठ गया।
इन्तजार अब क्या करेगा मुर्दा दिल
उम्मीद टूटी के यक़ीन खुदी पे ना रहा।

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29 APR AT 23:26

इतनी हसीन रात है अँधेरे महकने लगे
इतनी जवाँ रात है मन बहकने लगे।
साँसें घुल मिल गई नब्ज़ थम सी गई
जवाँ जवाँ जज्बात हैं दिल चहकने लगे।

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29 APR AT 16:57

इश्क़ ने जमाने में अमीर बना दिया
दर्द का सागर दे गई ऐसा दगा दिया।
पहले भी कुछ कमी नहीं रही कभी
जाते जाते तूमने अच्छा सिला दिया।
मेरे कुछ दर्द पुराने दफ़न थे सीने में
सीने से लगा के सब कुछ दिखा दिया।
एक तो पहले ही नासाज़ थी तबियत
आपने जाने का भी ऐलान सुना दिया।
मेरा शौक था तुझ से लिपटकर रोना
अकेलापन ऐसा दिया रोना छुडा दिया।
अब तो तेरी याद भी मजबुरी की याद है
इस दिल ने तो एक मुद्दत से भुला दिया।
इतना आसां नहीं है हुस्न से जुदा होना
जुदाई का पाठ इश्क़ ने पहले पढा दिया।

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