भक्ति प्रह्लाद के समय ही ठीक थी, अल्फ़ाज़!आज कल तो भगवान दुआओ में कम, लोगो की तसवीरों में ज़्यादा नज़र आ रहे है ✨ -
भक्ति प्रह्लाद के समय ही ठीक थी, अल्फ़ाज़!आज कल तो भगवान दुआओ में कम, लोगो की तसवीरों में ज़्यादा नज़र आ रहे है ✨
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तुम नाराज़ हो, एक खुदा हैवो सुनता नहीं तुम्हारी,नादान है वो ज़रा,दिखावे की मोहब्बत उसे अक्सर फरेब लगती है ✨ -
तुम नाराज़ हो, एक खुदा हैवो सुनता नहीं तुम्हारी,नादान है वो ज़रा,दिखावे की मोहब्बत उसे अक्सर फरेब लगती है ✨
ज़ख़्म अपने बेहद भरोसा कर दिखाये थे उसे अल्फाज़!वो महरूम हस-हस कर सारे ज़ख्म खरोदता चला गया✨ -
ज़ख़्म अपने बेहद भरोसा कर दिखाये थे उसे अल्फाज़!वो महरूम हस-हस कर सारे ज़ख्म खरोदता चला गया✨
वो नादान अभी अपने ख्वाबो मेंएक सितारा बना ही था..कम्बख्त दुनिया के भोजन नेआखों से नींद ही छीन ली उसके ✨ -
वो नादान अभी अपने ख्वाबो मेंएक सितारा बना ही था..कम्बख्त दुनिया के भोजन नेआखों से नींद ही छीन ली उसके ✨
मोहब्बत हशरत तक ही ठीक है..इश्क मुकम्मल हो जाए तो..एक रोज़ तबाह ज़रूर करेगा अल्फ़ाज़ ✨ -
मोहब्बत हशरत तक ही ठीक है..इश्क मुकम्मल हो जाए तो..एक रोज़ तबाह ज़रूर करेगा अल्फ़ाज़ ✨
वो नादान अपने ख्वाबो मेंएक सितारा बना ही था अभीहरामी दुनिया का दस्तूर देख अल्फ़ाज़मासूम की आखों से नींद ही छीन ली उसने ✨ -
वो नादान अपने ख्वाबो मेंएक सितारा बना ही था अभीहरामी दुनिया का दस्तूर देख अल्फ़ाज़मासूम की आखों से नींद ही छीन ली उसने ✨
गुरूर था, किसी दरमियान ना झुके कभीअल्फ़ाज़! रूबरू उस शक्स से क्या हुएकम्बख्त हर मंदिर - दरगाहों के रास्ते मालूमात हो गए ✨ -
गुरूर था, किसी दरमियान ना झुके कभीअल्फ़ाज़! रूबरू उस शक्स से क्या हुएकम्बख्त हर मंदिर - दरगाहों के रास्ते मालूमात हो गए ✨
गुरूर था, किसी दरमियान ना झुके कभीअल्फ़ाज़! रूबरू उस शक्स से क्या हुए,कम्बख्त हर मंदिर - दरगाह के रास्ते मालूमात हो गए ✨ -
गुरूर था, किसी दरमियान ना झुके कभीअल्फ़ाज़! रूबरू उस शक्स से क्या हुए,कम्बख्त हर मंदिर - दरगाह के रास्ते मालूमात हो गए ✨
कुछ यूं लिखा है इश्क को मैंनेमोहब्बत-ए-ऐतराब में..के जो भी पढ़ेगा इश्क, अल्फाज!खुदा कसमनफ़रत ही करेगा✨ -
कुछ यूं लिखा है इश्क को मैंनेमोहब्बत-ए-ऐतराब में..के जो भी पढ़ेगा इश्क, अल्फाज!खुदा कसमनफ़रत ही करेगा✨
कुछ यूं थक कर आया था उस शाममेरे दरमियान वो अल्फाज़,आंखों में शर्मउसकी फरेबी का जवाब खुद दे रही थी -
कुछ यूं थक कर आया था उस शाममेरे दरमियान वो अल्फाज़,आंखों में शर्मउसकी फरेबी का जवाब खुद दे रही थी