Sudhanshu Shekhar   (सुधांशुशेखर)
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कुछ अनकही, कुछ अनसुनी कहानियाँ
Joined 28 August 2016


कुछ अनकही, कुछ अनसुनी कहानियाँ
Joined 28 August 2016
YESTERDAY AT 8:23

अब सुनाई नहीं देती
जी रहा हूं बिन धड़कन के

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YESTERDAY AT 8:15

पर उसे भुलाएं कैसे

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YESTERDAY AT 8:13

उदासी अब भी बाक़ी है

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YESTERDAY AT 8:09


डाल पर चहचहाना
पर तौलना दूर तक उड़ना
एक दिन बिना हंगामे के उड़ जाना

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25 APR AT 19:02

जैसे हो फैला सहरा
गर तुम आ जाओ इक बार
हो जाए खुशियों से भरा

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25 APR AT 14:08

Interpreting Ghalib
क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में

कब से हूँ क्या बताऊँ जहान-ए-ख़राब में
शब हाय हिज्र को भी रखूँ गर हिसाब में

मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम
साक़ी ने कुछ मिला ना दिया हो शराब में

ता फिर ना इंतज़ार में नींद आये उम्र भर
आने का अहद कर गए आये जो ख़्वाब में

'ग़ालिब' छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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22 APR AT 21:26

तुम जो हो मेरे ख्यालों में

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14 APR AT 17:16

शहर दर शहर

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9 APR AT 10:42

नव वर्ष की सौगात
सुख सम्पदा की बरसात
शुभ हों सबके दिन और रात

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7 APR AT 8:42

बेहद खुश नज़र आई तुम
...
उसके साथ

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