Sudarshan HRD  
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Joined 14 April 2021


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12 HOURS AGO

मनवा..
क्या करता है विचार,

ही जीती जाती है,
बाजी वक़्त की समझ,
बेहतरीन वक़्त के लिये,
बुरे वक़्त की परीक्षा की,
घड़ियों से संघर्ष करना,
ही पड़ता है निरंतर..
समझ कर समझ बन्दे,
हर लम्हें मुस्कुराना ही होगा,
क्‍योंकि समझ ले तू वक़्त को,
आज वही कल है तेरा बन्दे,
जिसका तुझ को था बेसब्री से,
कल बहुत थी फिक्र बेहिसाब..
✍🏼🐦

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13 HOURS AGO

माधव..
है बहुत भवँर का ज्वर, है बहुत उथलपुथल मन में मनमोहन,
हमें ना जमाने की खैरात चाहिए, ना सहानुभूति चाहिए मोहन,
हे गोविंद..
हमें तो साथ आपका चाहिए, मनमंदिर में बास आपका चाहिए,
मेरे रासबिहारी बंसीधारी के प्रेम के बदले सिर्फ प्रेम कृपा की चाहत की चाह ही चाहिए, भवसागर खेवनहार मेरा मनमीत साँवरा सरकार चाहिए..✍🏼🐦

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YESTERDAY AT 19:18

माधव..
परवाह करते हो कितनी हमारी, बस जताते नहीं हो मनमोहन,
आप हम कितने है जरूरी एक दूजे के लिए बताते नहीं मोहन,
हे गोविंद..
हरपल लम्हें बेइंतहा ख्याल रखते हो हमारा बस जताते नहीं हो,
मनमोहन मनमीत स्वामी साँवरे, हम हर पल हर लम्हें दिदार कर लेते है चित्त बसे चित्तचोर, मगर आप हमें नजर क्यों आते नहीं हो साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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YESTERDAY AT 18:56

माधव..
हम तो हार गए है आपकी प्रेम कृपा की हर बात से मनमोहन,
बात गर वफाओं की होती तो कभी ना हारते हम मनमोहन,





हे गोविंद..




लेकिन बात नसीब की थी, इसलिए कुछ ना कर सके मोहन,
आप तो बिगड़े नसीब भी सवार देते हो बन कृपानिधान, फिर हमारी बारी में ये बात यहाँ आ कर क्यों रुक गई, हमारे प्रेम त्याग की वफाओं में रह गई कही कोई कमी साँवरे सरकार.. ✍🏼🐦

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YESTERDAY AT 7:45

हे हमराही, तू कर्मयोगी कर्म पथ का,
क्या देखता हार जीत के मायने,
इस जीवन की दौड़ में तू योगी,
तुझ को तो हैं निरंतर चलते रहना,
तेरी जिजीविषा क्या जानेगा जमाना,
तेरा पुरूषार्थ ही तेरे काम आएगा योगी,
जीवन की दौड़ में मत आस पराई कर,
हर बार तेरी इक़ ही कोशिश होनी चाहिए,
तू बने हिस्सा सदा ही समाधान का,
हिस्सा कभी ना बनना समस्याओं का,
तेरी पहचान है तेरे पसीने की हर बूँद से,
तू अपनी पहचान को कायम रखना,
तुझ से है जमाने में परिश्रम की परिभाषा,
अपनी परिभाषा को कभी लज्जित ना करना,
तेरा घायल बदन प्रतिबिंब है तेरे कर्म का कर्मयोगी..✍🏼🐦

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30 APR AT 10:22

माधव..
बसा लिया है आपको अपने मनमंदिर में बना प्रभु मनमोहन,
छुपा लिया है आपको अपनी रूह में बना कर मनमीत मोहन,
हे गोविंद..
ध्याऊँ साँसो की हर सरगम संग, करू सुमिरन पलपल मोहन,
आपकी प्रेम कृपा देखो कितनी बडी श्यामधणी, कि हवा भी बहने की इजाज़त मांगे, श्रीचरणों की मदहोशी प्यार में हो ऐसी प्यारे कि होश भी आने की इजाज़त मांगे साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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29 APR AT 18:41

हे हमराही, रहा करो चहकते महकते, कि ये अरदास है हमारी रहबर से,
ए दिल, यूँ उल्फ़त में गुलों का मुरझाना अच्छा नहीं लगता हमनवा..✍🏼🐦

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29 APR AT 17:52

हे हमराही, किसी ने क्या खूब कहा है,
किसी ने क्या खूब दिल को पढ़ा है,
किसी ने क्या खूब लफ्ज़ो में पिरोया है,
ए दिल
बहुत नजदीक से देखा है इस दुनिया को,
तभी इससे दूर जाकर बैठा हूँ कुछ यूं,
क्या पाया क्या खोया हिसाब उसी का लगाने को..✍🏼🐦

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29 APR AT 9:47

माधव..
एक बार साँवरे अपना बना लो,
जब झूले मझधार में नईया,
पार भवसागर से लगाने आना,
बन कर माझी मेरे बंशीधर मोहन,
अपने मनमीत का फर्ज निभाना,
सारथी बन कर आना मनमोहन,
जो भटकूँ इधर उधर हे प्राणनाथ,
जो डोले मन मुरली मधुर सुनाना,
जीवन ले जाना उस पार साँवरे,
हे गोविंद..
प्रेम प्रीत लगाना प्रीतम मनमीत ऐसी,
की निभ जाए मरते दम तक मोहन,
सिवा इसके कोई चाहत ना हो नाथ,
चाह ना हो कुछ और माँगू मनमीत,
कान्हा बिन जीना बेकार हो साँवरे,
मनमंदिर में आन बिराजो घट घटवासी,
मोहे अपना बना लो मनमोहन मनमीत,
मेरे स्वामी साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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29 APR AT 6:31

माधव..
गर हुई है खता कोई हम से तो फिर सज़ा सुना दो मनमोहन,
देखो नटखट नटवर दिल में इतना दर्द क्यूँ है वजह बता दो प्रभु,
हे गोविंद..
इतनी सजा क्या काफी नही प्रभु की दर्श देते नही हो मनमीत,
गिरधरगोपाल तनिक देर हो गयी याद करने में हम से जरूर, लेकिन आपको भुला देंगे इक़ पल को भी ये ख्याल अपने दिल से मिटा दो साँवरे सरकार..✍🏼🐦

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