सस्ता लेखक   (The introvert Guy...!!)
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!!...Tired but still trying....!!
ब्राह्मण 🚩
जय श्री राम 🚩

यूपी से हैं✌😎
Joined 5 April 2022


!!...Tired but still trying....!!
ब्राह्मण 🚩
जय श्री राम 🚩

यूपी से हैं✌😎
Joined 5 April 2022

सीधे दिल पे घात करता है.....


तेरे इश्क़ में भी " कोविशिल्ड "
का मिलावट तो नहीं.....

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|| मैं अतिरिक्त ||

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पुरुषों का दिल उन स्त्रियों ने ही तोड़ दिया,
जिन्हें वो पसंदीदा स्त्री कहा करते थे..

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उठ बजरंगी, भर हुँकार
हर जोड़े को, लाठी मार

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तुम तो चॉक चुरा के खाती थी ना
तुम्हें भी चॉकलेट चाहिए
😂

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वो मेरी हद्द को
मेरा गुरुर समझते हैं
चुप जो रहूं तो
मगरुर समझते हैं
कभी जो निकले अश्क
मुझे बेनूर समझते है
तोड़ के हिम्मत मेरी
सपनो को चकनाचूर समझते है
आसान नहीं है मुझसे पार पाना
लोग फिर भी मुझको मजबूर समझते है
नादां है वो क्या जाने
अपने भ्रम में जीना वो खूब समझते है
है हर जानिब शक्स कुछ ऐसे
जो दूसरों को बस मजदूर समझते है
अपनी ही लौ से जगमगाता हूं
जाने क्यों लोग मेरा सुरूर समझते है

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30 DEC 2023 AT 9:44

हमें इस बात का ग़म तो नहीं, हमें ग़म है
ग़म है इस बात का इस शहर में मातम है

हलक के नीचे ही जब, उतार ना पाए तो
फर्क क्या गंगाजल, या आबे जमजम है

वैसे तो दिलों में जख़्म है हजारों सभी के
दिल को तसल्ली दी कहा यह तो कम है

बुझी राख सी होती हो ज़िंदगी जिसकी
उसके लिए शोले की ये जलन मरहम है

ज़िंदगी के सफहे, धुंधले से हो गए अब
ज़िंदा है फिर भी आदमी, कैसा वहम है

कद इतना तो है ज़मीं से आस्मान छू लें
हमारे हाथ में अपने मुल्क का परचम है

हादसों से जूझने में, ये साल गुजर गया
इस नये साल में देखें,क्या क्या करम है

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26 NOV 2023 AT 23:03

सोचता हूँ, इस ज़िंन्दगी से अब, सुलह कर लूं
उस तरह निभ नहीं सकी, तो इसतरह कर लूं

सबकी अपनी ही कैफ़ियत है ,सफाई है यहाँ
सारे इल्ज़ाम की मैं खुद को ही वज़ह कर लूं

तमाम रात भटकता रहा हूँ अपने ही शहर में
रास्ते में ही कहीं बेहतर है, अब सुबह कर लूं

रिश्ते शतरंज के मोहरे के सिवा कुछ भी नहीं
किसे दूँ मात भला,अब किससे मैं शह कर लूं

कुछ न कहने की आदत ने डुबोया है अक्सर
क्यों न खुलकर अब खुद से ही जिरह कर लूं

बियाबां मुआफ़िक़ है यहीं पे अपनी कब्र हो
दो गज ही सही अपनी भी यहीं जगह करलूं

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13 NOV 2023 AT 16:00

मैं त्यौहार के बाद का दिन हूँ,,,

बुझा-बुझा सा, थका-थका सा बेरंग सा ..
🙃

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10 NOV 2023 AT 12:20

"जब भी हम कोई शायरी लिखते हैं ll
शब्दों से आपकी बराबरी लिखते हैं ll

आप होतीं तो साथ अंताक्षरी खेलते,
आप नहीं हैं तो अंताक्षरी लिखते हैं ll

प्रेम दया अंत:मन की शुद्ध रचनाएँ हैं
नफरत निर्दयता को बाहरी लिखते हैं ll

कोई कवि लेखक या शायर नही हैं हम,
इंसान हैं, इंसानियत बिरादरी लिखते हैं ll

आज की रचना लिखने के बाद
हम आज की हाजरी लिखते हैं ll"

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