हौसला देते हैं मुझे वो ये कह कर कि कल हालात अच्छे होगें।अफ़सोस तो बस इतना है कि वो कहते नहीं,'कल हम किरदार अच्छे होगें!' -
हौसला देते हैं मुझे वो ये कह कर कि कल हालात अच्छे होगें।अफ़सोस तो बस इतना है कि वो कहते नहीं,'कल हम किरदार अच्छे होगें!'
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I love not to love. Because the heartbreaks don't hurt me, they haunt me. -
I love not to love. Because the heartbreaks don't hurt me, they haunt me.
ज़ाया क्यूँ करूं मैं शिकायतें उनपर ? जो मेरी दहलीज़ से लौट गए,मुझे गुनहगार कह कर! -
ज़ाया क्यूँ करूं मैं शिकायतें उनपर ? जो मेरी दहलीज़ से लौट गए,मुझे गुनहगार कह कर!
जिसे दिन-रात चाहा था , उसे खुद से बिछड़ते देखा ।लाख बचाया जिसे दुनिया की तपिश से, उसे अंगारों में दहकते देखा ।ज़िन्दगी की इन तंग गलियों में आज उसका आना हुआ , और एक बार फिर उस पहचानी-सी सूरत को मैंने गैर बनते देखा । -
जिसे दिन-रात चाहा था , उसे खुद से बिछड़ते देखा ।लाख बचाया जिसे दुनिया की तपिश से, उसे अंगारों में दहकते देखा ।ज़िन्दगी की इन तंग गलियों में आज उसका आना हुआ , और एक बार फिर उस पहचानी-सी सूरत को मैंने गैर बनते देखा ।
कैद करके जज़्बातों को वो सुकून बयां करते हैं।किस हक़ से नाराज़गी ज़ाहिर करूं मैं उनसे? इस हुनर में मग़रूर हम भी तो रहा करते हैं! -
कैद करके जज़्बातों को वो सुकून बयां करते हैं।किस हक़ से नाराज़गी ज़ाहिर करूं मैं उनसे? इस हुनर में मग़रूर हम भी तो रहा करते हैं!
जायज़ हैं तेरी चाहतें, मगर तेरा झिझकना भी ज़ाहिर है;तू अल्फाज़ों में बयां तो कर, हम इंतजार के कायल हैं ! -
जायज़ हैं तेरी चाहतें, मगर तेरा झिझकना भी ज़ाहिर है;तू अल्फाज़ों में बयां तो कर, हम इंतजार के कायल हैं !
बेचेहरा है शख़्सियत तेरी, फिर क्यूँ तेरे चेहरे में मोहब्बत नज़र आती है ? -
बेचेहरा है शख़्सियत तेरी, फिर क्यूँ तेरे चेहरे में मोहब्बत नज़र आती है ?
लहज़ों और लफ़्ज़ों में तालमेल नज़र नहीं आता और बावजूद इसके तुम वादे नायाब करते हो ! -
लहज़ों और लफ़्ज़ों में तालमेल नज़र नहीं आता और बावजूद इसके तुम वादे नायाब करते हो !
महज़ इत्तेफ़ाक़ नहीं था तेरा रूख़सत होना, दुआ मांगी थी कि कंधों का बोझ हल्का हो! -
महज़ इत्तेफ़ाक़ नहीं था तेरा रूख़सत होना, दुआ मांगी थी कि कंधों का बोझ हल्का हो!
तुम मोहब्बत तो बेपरवाह लुटाते होमगर आईने में बैठे शख़्स को,क्यों अब भी तलब है तेरी चाहत की ? -
तुम मोहब्बत तो बेपरवाह लुटाते होमगर आईने में बैठे शख़्स को,क्यों अब भी तलब है तेरी चाहत की ?