Srishti Gupta   (Inner voice of srishti)
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Joined 17 January 2018


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Joined 17 January 2018
16 JUN 2020 AT 17:23

कहूं आज कुछ तो मिरी बात मानो
नहीं हैं यहाँ रोशनी,लग रही रात मानो

मुझे एक हलचल ने जिंदा रखा था
वही रुक गयी अब मुझे लाश मानो

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18 MAY 2020 AT 3:18

माचिसिया टेलीफोन

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14 MAY 2020 AT 1:30

अभागान

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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11 MAY 2020 AT 23:22

रद्दी से निकाल पुरानी ख़बरें पढ़ रही हूँ,
हार उस वक्त को नये वक्त से लड़ रही हूँ!

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7 MAY 2020 AT 16:56

कलियाँ मसलकर फेकने वाले लोग
रंगीं जहाँ में दिल के हैं काले लोग।

खंजर छिपा कर हाथ से देते फूल
करतब दिखाते दुनिया को आले लोग।

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24 APR 2020 AT 21:43

चाँद को देख लूँ कि मैं शायद
नक्श में चाँद के वही होगी।

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19 APR 2020 AT 22:41

कस्मकश

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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15 APR 2020 AT 13:17


इस दृश्य को
देख कर
मेरी पुतलियों का
गदगद हो कर,
फैल जाना
कोई आश्चर्य नहीं।

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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13 APR 2020 AT 14:45

काग़ज़ पर कलम घिसने की अति तब होगी,
जब जी उठेगें मेरी कहानियों के किरदार सभी।

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9 APR 2020 AT 19:17

ख्यालों की पतंग

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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