Srishti 09   (Sri✌️)
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Joined 2 February 2023


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10 HOURS AGO

I was broken and disappointed when I needed you the more...
Just broke from the depth of my heart at a time when needed your support .
Lefted at a time when needed someone's hand to walk along...
knowing me being an overthinker given woeful words and thoughts ..
one day everything will gonna be fine each time i just thought..
But i never knew that only starting of deteoriation it was for us...
I was made broken day by day not at a single stroke..
But the day when you portraited me from your companion to a betrayer zone..
I understood what place and trust i got from you in your contemplations
The moment i felt how can i be so wrong for my future and my own
Only at that time I felt making you in my life had I made mistake?

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1 MAY AT 0:14

अब किसे पता था?
मेरे मुस्कुराहट के पीछे का राज़,
हम तो अपने हालातों को,
अपनो से भी छिपाए बैठे थे!

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30 APR AT 15:52

शांति की अनुभूति है!

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29 APR AT 12:25

,
चहचहाना अच्छा लगता है...
जिंदगी के इस डगर में,
गुनगुनाना अच्छा लगता है!
मंजील की है ना खबर,
अब ना किसी को बताना अच्छा लगता है....
मन ही मन में खुद से बातें करते हुए ,
अब बस अपनी हालतों पर मुस्कुराना अच्छा लगता है !

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28 APR AT 9:26


ऐसे क्यों तुम हो बैठे हो निराश?
आस न हारो! साँस न हारो!
डटे रहो! बस सामने चलते जाओ!
अभ्यास प्रतिदिन करते जाओ,
हर दिन आगे की ओर बस बढ़ते जाओ !

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27 APR AT 22:49

नए मोड़ पर एक नया दौर आएगा।
नए समा में नया माहौल आएगा!
बोलने वाले दंग हो देखते रह जायेंगे।
जब मेरा तक़दीर खुद मेरा महाकाल लिखेगा!!

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26 APR AT 17:45

अच्छाई हो या हो बुराई,समाई है अंतरात्मा में ;
शरीर में है क्या रखा?है दिखावटी एक मीराज ये! डूबा है कोई पाने में कुछ,तो बैठा है कोई लोभवस उपासना में;
सोच सबके है अलग यहाँ,लक्ष्य भी है अनेक से!
कर्म पथ पर है जो चला,कर सका वही लक्ष्यभेद है; उतार-चढ़ाव, पुष्प-कंकड़ से भरा यह मार्ग है!
ये जीवन है रे,ओ पथिक!आसान नहीं कोई खेल ये; विजय हुआ है बस वही,जो चल सका है इसमें सूझ बूझ से !
विवेक सहनशीलता और संघर्ष जैसे, एहम कई पड़ाव है इस खेल के;
विश्वास बिंदू पर है बस टीका, यहाँ ज़िंदगी की ये रेल रे!
रखना भरोसा केवल स्वयं और अपने आराध्य पे;
शयाद अन्य नहीं कोई सुभचिंतक यहाँ,है तुम्हारे जनक के अतिरिक्त रे!

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25 APR AT 22:36

माँ तो नहीं थी उसकी पर माँ सा प्यार किया करती थी।
खुद से ज्यादा ही खयाल उसका मैं रखती और ऐतबार किया करती थी।
उसके बात मानने के लिए बस कई छोटी बड़ी मसक्कतें मैं किया करती थी।
फिर भी कभी उसे ये एहसास नहीं दिला पाई की कितना अपना उसे मैं माना करती थी।
बड़ा गर्व था हमारे रिश्ते पे मुझे,वो गर्व एक दिन टूट गया,दिखाया जब उसने मुझे की विश्वास मुझ पर से उसका उठ गया।
उसकी जिक्र सबसे मैं किया करती थी,तारीफ़ के उसके पुल बुना करती थी।
हर रोज़ उसके साथ आने वाले कल के सपने मैं देखा करती थी,कई बातों से अंजान मैं ख्वाबों के गलियों में जिया करती थी।
मेरे लिए उसके मन का विष देख कर मैं भयभीत बड़ी हो चुकी थी,मर चुका था अन्तर्मन मेरा कई दिनों तक अकेले फूट-फूट कर रोई थी।
समय बड़ा नज़दीक था परीक्षा का,जिसपे जिंदगी मेरी टिकी थीं!
उस स्तिथि में कुछ ऐसा मेरा हाल हुआ,ज़िंदा क्यों हूं इस बात को हर रोज़ कह भगवान को ख़ुद को मैं कोसा करती थी।
पहली बार किसी को मां बाप सा दर्जा दिया था,इस बात से अंतर्मन मेरा जोरों से दहल उठा था।
हुए थे हम अलग कुछ ऐसे साथ हमारा छूटा था, दो दिल कुछ ऐसे टूटा था!

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24 APR AT 23:05

रात सुहानी कहे कहानी, ज़िंदगी करे अपनी मनमानी !
भले अंधेरी काल हूं मैं, चाँद सितारों की ढाल हूं मैं !
दिखूँ ऊपर से चाहे कुछ भी, राज़ समाई है कई मुझमें सबकी !
आराम करे,कोई गहरी निद्रा में देखे हैं सपने, मौज करे कोई,कोई रोए संग मेरे !
जिस तरह चाहे जो मुझको, साथ निभाऊं वैसा मैं उनका !
भेद भाव ना जानूं हूं मैं, रहूं बराबर सबके साथ एक जैसे !
किसी के लिए सुहानी रात हूं मैं, तो किसी के लिए जीवन का अभिशाप हूं मैं !
क़रीब से देखो दिखेंगे कई ढंग मेरे, रंग नहीं बदलती पर बस एक ही रंग हैं मेरे !
दाग ढकूं मैं,पट बनूं किसी का, अपनों से भी अश्रु पीड़ा ढकूँ मैं सबका !
सरल सुखी भले दिखूं हूं मैं, विरह भरे रहस्य तो है कई भीतर भी है मेरे !
एक विचित्र बेला हूं मैं, समय के पहलू का बस एक खेला हूं मैं !
समझ पाना इतना सरल नहीं मुझको, क्योंकि रोशनी का एक अलग आगाज़ हूं मैं !




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23 APR AT 21:57

मन्युष योनि में जन्म मिला है
कुछ अच्छा कर के जाना है,
जग में नाम अपना अमर रहे
ऐसा अपना व्यक्तित्व बनाना है!

दुख दर्द अपने स्वार्थ को भूल
सुकर्म के वशिभूत हो जाना है,
कर्म लेखनी के माध्यम से
अपना नसीब रच जाना है!

एक दिन सबको माटी में मिल जाना है,
कुछ ऐसा अपना किरदार निभाना है
कुछ ऐसा अपना किरदार निभाना है!!

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