Sraj Paurush   (~SRwrites~)
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Joined 2 April 2019


Joined 2 April 2019
5 APR AT 1:23

किनारों पर बसने वाले पानी को महज पानी कहते है,
मशाक जब खाली हो रेगिस्तान मे तब उसे जिंदगानी कहते है
जब पेट भरा, तन पर कपडा, सर पर छत, छत के भीतर सब ज़रूरते हो, और कल की राहे सब महफूज हो,
तब दिल ए गुलजार, जिंदगी ए अवाद जैसे ख़यलो का खयाल आता है
जब हाथ के नीचे दौलत हो तो क्या फ़िक्र कहने में पैसा सब कुछ नही होता,
इस दौलत नज़र दुनिया में जब कुछ नहीं होता तब साथ खड़े होने वाला कोई नही होता
महलों के बाहर खड़े अनजाने हुजूम होते है,
झोपड़ियों मे दस्तक देने के लिए कोई रिश्तेदार नही होते...

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17 JAN AT 19:45

मीठे मीठे बोल, लबों पर बड़े सुहाते हैं,
ज्यादा मीठा कहने वाले हमको कम ही भाते हैं।
अपना अपना कहकर ख़ंजर पीठ पर भोंकेंगे,
मुँह पर रख मुस्कान, बात ग़लत एक ना बोलेंगे।
नकाबों से ढके चेहरे लेकर सबके सगे बनेंगे ये,
फ़रेबी इरादों को अपने सुझबुझ से बुनेंगे ये।
बहुत भले लोग हैं वो, बात कठोर जो कहते हैं,
तीखी बात छूबती है, मगर सत्य से सामना कराते हैं।
ये मीठा कहने वाले तो बस धोकेबाज़ी का खाते हैं,
ज़मीर इनके मरे हैं, झूठ को भी सच साबित कर जाते हैं।

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17 JAN AT 19:44

मीठे मीठे बोल, लबों पर बड़े सुहाते हैं,
ज्यादा मीठा कहने वाले हमको कम ही भाते हैं।
अपना अपना कहकर ख़ंजर पीठ पर भोंकेंगे,
मुँह पर रख मुस्कान, बात ग़लत एक ना बोलेंगे।
नकाबों से ढके चेहरे लेकर सबके सगे बनेंगे ये,
फ़रेबी इरादों को अपने सुझबुझ से बुनेंगे ये।
बहुत भले लोग हैं वो, बात कठोर जो कहते हैं,
तीखी बात छूबती है, मगर सत्य से सामना कराते हैं।
ये मीठा कहने वाले तो बस धोकेबाज़ी का खाते हैं,
ज़मीर इनके मरे हैं, झूठ को भी सच साबित कर जाते हैं।

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17 JAN AT 19:31

मीठे मीठे बोल, लबों पर बड़े सुहाते हैं,
ज्यादा मीठा कहने वाले हमको कम ही भाते हैं।
अपना अपना कहकर ख़ंजर पीठ पर भोंकेंगे,
मुँह पर रख मुस्कान, बात ग़लत एक ना बोलेंगे।
नकाबों से ढके चेहरे लेकर सबके सगे बनेंगे ये,
फ़रेबी इरादों को अपने सुझबुझ से बुनेंगे ये।
बहुत भले लोग हैं वो, बात कठोर जो कहते हैं,
तीखी बात छूबती है, मगर सत्य से सामना कराते हैं।
ये मीठा कहने वाले तो बस धोकेबाज़ी का खाते हैं,
ज़मीर इनके मरे हैं, झूठ को भी सच साबित कर जाते हैं।

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24 DEC 2023 AT 20:41

फिर आ गया ये नया साल
अब क्या दुआएं मांगे हम
चलो दुआ मे दुआ ये मांगे
फिर अगले साल कोई दुआ न मांगे हम...

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24 DEC 2023 AT 20:37

मतलब के है रिश्ते सारे
उलझनों से भरे है मन के तारे
आज नहीं तो कल सब का सच्च सामने आना है
एक ना एक दिन तो सब को अपना रंग दिखाना है
कुछ भी नही स्थाई यहाँ
कुछ पल का सब कुछ मेला है
प्यार मोहब्बत यार दोस्त परिवार
वक़्त का सब झमेला है
सच्च पुछो तो हर शख्स यहाँ अकेला है
हर शख्स यहाँ अकेला है

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23 DEC 2023 AT 0:44

है तलाश कि जीना जिंदगी लगे
आईना देख कर आँखे ना झुके
मन के वश में हम न हो
मुठी में मन और सपने हो
है तलाश कि देख आईना सीना छोड़ा और कांधे ऊँचे हो
पहचान आसमान तक और इख़्तियार हाथ के नीचे हो
रास्ता चाहे तंग और जिंदगी समझौतों का पिटारा हो
मगर जो मुड़ कर पिछे देखे तो सफ़र गुलजार और गहरा हो
है तलाश कि जिंदगी, जिंदगी हो
है तलाश कि जिंदगी, जिंदगी हो

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14 AUG 2023 AT 21:42

अधूरे सपने बिखरते रिश्ते
भागती उम्र टूटते घर
छूटते दोस्त बीतता वक्त
बढ़ती ज़िम्मेदारी रूपियो की भागम भागी
चंद कागज के टुकड़ों में जाती नौजवानी
उसके ऊपर ये दुनियादारी लाखो झोल मोल से भरी ये जिंदगानी
यूंही थोड़ी हुई है हमे खामोशियां प्यारी
गम ए दस्तुर में शामिल सब है सिर्फ मोहोब्बत ने नही छीनी है मुस्कान हमारी...

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21 JUL 2023 AT 23:19

तन्हाई के आलम साथ लिए आती है
ए रात तू क्यूं आती है
नफ़रत सी होने लगती है खुदसे
जब ये शाम अपने सवाल लाती है
तलाश्ता फिरता है नया सवेरा
मगर कम-बख़्त ये नींद कहा आती है
शाम मुझको कुछ यूं झकझोर जाती है
शाम मुझको कुछ यूं झकझोर जाती है..

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19 JUL 2023 AT 19:35

इल्तिज़ा इतनी की अपनों से अपनेपन की दुहाई मांगी थी
हमने कौन सा खिदमत दौलत या हुक्मी सदाई मांगी थी
फकत एक आरज़ू की कोई अपना हो जो दिल टूटे
एक दयार अपना हो जहा लौट सके जब सब रूठे
मगर वक्त खराब ताज़ीर किस्मत है
सबकी अपनी अपनी जरूरत और जरूरी हम कम है

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