मीठे मीठे बोल, लबों पर बड़े सुहाते हैं,
ज्यादा मीठा कहने वाले हमको कम ही भाते हैं।
अपना अपना कहकर ख़ंजर पीठ पर भोंकेंगे,
मुँह पर रख मुस्कान, बात ग़लत एक ना बोलेंगे।
नकाबों से ढके चेहरे लेकर सबके सगे बनेंगे ये,
फ़रेबी इरादों को अपने सुझबुझ से बुनेंगे ये।
बहुत भले लोग हैं वो, बात कठोर जो कहते हैं,
तीखी बात छूबती है, मगर सत्य से सामना कराते हैं।
ये मीठा कहने वाले तो बस धोकेबाज़ी का खाते हैं,
ज़मीर इनके मरे हैं, झूठ को भी सच साबित कर जाते हैं।
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