जब कोई इंसान वह सारी चीजें करने लगे जो आपको पसंद ना हो या गुस्सा दिलाती है तो समझ जाना उसे अब आप की जरूरत नहीं रही वह चाहता है कि आप खुद ही उसे छोड़ दें
कुछ ख्वाब कुछ ख्वाब देखें अनजाने थे उन ख्वाबों में हुए बेगाने थे कभी होते ना गम के ठिकाने थे ना वाक़िफ थे हम इस जमाने से यूं हुए हम इश्क दीवाने थे जैसे पतझड़ के मौसम सुहाने थे हम निकले थे उनकी राहों में यूं जैसे उनके न कोई ठिकाने थे यह ख्वाब बड़े बेगाने थे जो थम ना सके इस जमाने में कुछ ख्वाब देखे अनजाने थे उन ख्वाबों में हुए बेगाने थे ....