की है एक अलग ही कहानी...
जो आज है मुझे सुनानी ...
एक दिन की बात है, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था...कुछ बातें थी, जो मुझे साझा करनी थी, पर कोई था ही नही, जिससे करूं, फिर मुझे मिली मेरी सबसे प्यारी और मेरी हमराज़ दोस्त...मेरी पुरानी डायरी...
उसने मेरी हर बात दिल से सुनी और मेरी दोस्त बन गई... मैं उससे हर एक दिनचर्या बताती, कभी कभी खुशी जताती तो कभी रोकर दिखाती, फिर भी वो हमेशा मेरे साथ रहती, ना मुझे गलत बताती...पर हमेशा आगे बढ़ने की सलाह सिखलाती...उसने कभी भी मुझे अकेला नही छोड़ा, आज भी वो मेरे अतीत के गहरे राज़ छुपाती और याद दिलाती...
एसी है मेरी सबसे अजीज़ दोस्त...
पुरानी डायरी...
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