sonam makhija  
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Joined 22 August 2018


Joined 22 August 2018
5 JAN 2023 AT 13:16

परिस्तिथियाँ इन्सान से वो भी करवा सकती है
जिसकी उसने कभी कल्पना भी ना की हो...!!

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27 DEC 2022 AT 19:14

इन हवाओं से ज्यादा शोर तो मेरा दिल कर रहा है,
ना जाने क्यूँ बे-बात के ये इतना धड़क रहा है...!!

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20 OCT 2022 AT 15:27

रख लूं जो तुझे अपने पास,कम्बखत ये जमाना इसकी इजाजत नही देता....
रोक लूँ सारे लम्हों को, ये वक़्त मुझे इतनी भी मोहलत नही देता...!!

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19 OCT 2022 AT 10:31

पहले ये ना थी मैं, कुछ तो मुझमे बदल गया था...
पर बात ये है कि अब पहले जैसे होना भी नहीं चाहती हूँ....
टूट कर चाहना किसी को , मुझे ही तोड़ गया था....
पर बात ये है कि अब मैं खुद को समेटना चाहती हूँ....
दिल है मेरे अन्दर, ये कोई बता गया था....
पर बात ये है कि अब उस दिल को मैं दफनाना चाहती हूँ ...!!

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18 OCT 2022 AT 17:12

एक जिददी सी लड़की, जो जिद से सब मनवा लिया करती थी....
आज एक शक्स उसे अपने लिये तरसा गया...!!

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11 OCT 2022 AT 21:18

हवा का झोका बेशक एक था....
मगर तबाही सेकड़ों की कर गया...!!

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9 OCT 2022 AT 14:24

ज़रा सी खुशी पर इतराया न कर....
ए दिल ,तू जरा दिमाग भी लगाया कर...!!

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25 SEP 2022 AT 11:37

बिटिया दिवस....
आज एक दिन अपनी बिटिया पे सबको गर्व था...
कल से फिर बिटिया समान्य होगी, क्यूकी ये तो महज एक दिन का पर्व था...
आज एक दिन बिटिया को देख खुश होकर जो कर रहे है बातें...
बेटे को माँगने के लिये तप मे निकली थी कभी उनकी रातें...
आज एक दिन बिटिया जो दे रहे है लम्बी उमर की दुवाएं...
क्यूँ नही कोई बेटो के लिये किये जाने वाले लम्बी आयु के व्रत, बिटिया के हिस्से है कभी आए...?

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19 SEP 2022 AT 13:58

खुद पे इतना गोर कभी किया ही नहीं था,
जब से तुमने कहा तम्हें देख के दिल को सुकून मिलता है....
तब से खुद पे एतबार होने लगा है...!!

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15 SEP 2022 AT 22:25

जाना है तुझे पराये घर,
ये बचपन से सिखाया जाता है....
दिल का टुकड़ा बोल कर,
उसे प्यार से बड़ा किया जाता है....
क्यूँ एक बेटी को नाजो से पाल कर,
फिर खुद से दूर किया जाता है..?
थोड़ा थोड़ा करके उसमे,
जिम्मेदारियो का पौधा बोया जाता है....
एक नहीं दो घरों की इज्जत है,
उसे हमेशा से यही बताया जाता है....
क्यूँ एक बेटी से फिर,
उसका अपना ही घर छीन लिया जाता है...?
यूँ तो उसे माँ लक्ष्मी बोल कर,
उसका स्वागत किया जाता है....
कन्या का दर्जा दे कर,
उसे सौ ब्राह्मणों से भी ऊपर रखा जाता है....
क्यूँ एक बेटी को फिर,
झुक कर सब सहने को मजबूर किया जाता है...?

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