मेरी कलम भी आज नतमस्तक है,
उन सभी गुरूओं के लिए
जिन्होंने मुझे, मेरे इस जीवन में
कुछ न कुछ सिखाया,
गुरु का रूप भिन्न, मगर
गुरु का कर्म एक,
मां जीवन की पहली शिक्षिका
तो अन्य; जीवन के चक्र में मिले मोती
शब्दों से जिनके समर्पण को
संजोया न जा सके;
गुरु की महिमा है इतनी अनंत;
अपने ज्ञान के ज्योतिपुंज से
जो करते, औरो के जीवन को प्रकाशित
जिनके अद्भुत अनुभवों से
आती, जीवन की तरंगों में ठहरता
गुरु का स्वरूप कुछ भी हो
पर
हर एक गुरु की है
जीवन में महत्ता ।।
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