हर वो अलफाज जो कहे हैं तुमने बात वो है अलग कि हर शब्द थे झूठे हर वो अलफाज जो कहे हैं तुमने बात वो है अलग कि प्यार भी किया मैंने हर वो अलफाज जो कहे हैं तुमने जिससे माना था तुम्हें अपना पर था किसी और का ये जाना भी तो किसी और से
न कोई बहाना है तुमसे मिलने का फिर भी हम उम्मीद लिए बैठे हैं तुमसे मिलने का जब कहीं मिल जाओ किसी दिन रास्ते पर न जाने क्या हाल होगा इस दीवाने का फिर भी हम उम्मीद लिए बैठे हैं तुमसे मिलने का
वो सच ही तो कहता था कि हमेशा देर की मैंने ज़रूरी बात कहने में कोई वादा निभाने में तुम्हें आवाज़ देने में तुम्हें वापस बुलाने में हमेशा देर की मैंने हां मैं जानता हूं वो सच कह गया था तुम्हें मिलने से पहले और तुम्हें पा लेने तक आख़िर क्यों इतनी देर की मैंने