रह गए बनके एहसास ऐ कहानी
दुनिया की ज़ुबानी तुम हो गए रूहानी
मौसम कई आए दिल लगी के
पर तुम हमे कभी मुयस्सर न हुए
ईर्ष्या में लोगों ने ऐसा क्या किया
की तुम कभी हमारे हमदम न हुए
बाज़ दफ़ा हमारी औकात तौलते रहे
पर हम भी इक दिए कि तरह जलते ही रहे
मुलाकात पे इक बात ख्वाइश बन गयी
एक चाय तुम्हारे साथ अधूरी ही रह गयी।।
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