Sn_eha2587   (Sneha)
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Joined 30 March 2020


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15 FEB 2023 AT 15:59

ये वक्त एक अरसे से इंतज़ार में है,
कि कुछ छोटी बातों की गुफ़्तगू लम्बी तो हो..!

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14 FEB 2023 AT 1:13

खामोशी सुनो शाम की तो ज़हन शोर करता है,
रात के वीराने में दिल ख़ुदको एक ओर करता है।
ना जाने भागता किस आज़ादी से है!
या चाहता है छिपना किसी पहलू में !
नहीं मालूम मगर ये शहर बहुत शोर करता है।

ये वक्त नहीं उम्र गुज़र रही है आहटों की,
एक तस्वीर सजाई थी, जो पुरानी कर रही है मकानों को।
एक कमरा जो घर था कभी, खंडर मकान बना है,
वो गुल्लक की चवन्नी भी शायद फ़ेक दी है वीराने में।
शबनम पत्तों पर गिरे तो मोल बहुत है, पर ग़र थम जाए तो शोर बहुत है।।

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8 FEB 2023 AT 1:47

एक रोज़ वक्त अपना करतब दिखलाएँगे,
भरे ज़ख़्म भी वापस उभर आएँगे ।
है बंद, है आबाद दर्द के ख़ौफ़ से ये दिल
पर फिर भी एक ज़ख़्म ज़रूर दोहराए जाएँगे…।।

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12 DEC 2022 AT 17:58

कि छोड़ दिए भौरों ने अपने हक़ के फूल तुम्हारे लिए,
अब इस फूल से क़ीमती और कुछ भी नहीं…।।

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8 DEC 2022 AT 22:05

बहुत बातें थी लबों से साझा ना करने वाली,
और चंद फूलों ने सारे मसले ही सुलझा दिए…!

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14 NOV 2022 AT 9:43

मकानों में आशियाना था अब तक मेरा…,
तुम्हारे दस्तक ने महज़ घर बना दिया…।

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13 NOV 2022 AT 22:43

खो जा ख़्वाबों के शहर में तु,
फ़िलहाल कल के फ़िक्र की ज़िक्र नहीं करते…।

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5 AUG 2022 AT 1:47

चलो स्वतंत्र भारत की कहानी ज़हन में लाते हैं
अमर वीर बलिदानों का क़िस्सा आज दोहराते हैं!

ग़ुलामी मुक्त, स्वतंत्रता पूरक आज जो हमारा देश है,
छुपा इनमें कई महापुरुषों का वेष है।

पहल क्रांति की, उठा नारा द्वेष का
सूली पर थे मंगल पांडे
पर नारा था वो विध्वंस का।

महान वो महापुरुष और महान उनका नारा था,
केवल स्वतंत्रता नहीं स्वाभिमान भी उनको प्यारा था।
क़ुर्बान हो मिट्टी की ख़ातिर
चंद्र शेखर, भगत सिंह संग कईयों ने लाखों को रुलाया था।

अहिंसा का दामन थाम बापू ने स्वतंत्रता का मार्ग दिखाया था,
पूरे हुए भारत के सपने और तिरंगा आसमान में आज़ादी का फहराया था।

क़ुर्बान हुए लाखों देश के ख़ातिर,
पर मौत के उन घड़ियों में भी चेहरे पर अभिमान था।

सोच विचार परे थे उनके,
पर हर लबों पर उनके हिंदुस्तान था।।

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1 AUG 2022 AT 12:11

क़ायदों की बंदिशों से ऐतराज ना रख,
सूफ़ियाना है ख़्वाब तेरा इसको महज़ आज ना रख!
मुक़द्दर ही किसी का नहीं होता ख़्वाबों को तब्दील करने का,
तुझमें है!
तू इसे पूरा करने का जज़्बात तो रख..!

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29 JUL 2022 AT 2:47

The fighting you is much better than frightened you. But what if you’re tired of fighting with ownself? However, fighting with others doesn’t bother up to that extent. But when it’s time to tackle with your feelings, emotions, Duplicity and many such disgust feelings, somewhere it makes space for fear. The more we run the more we collapse into it. We always think to handle some stuff alone…but reality is.., something is actually beyond our control…so, it’s better not to insane and accept the flaws. It might be one more step moving ahead towards yourself and aware with your weaknesses. And it will set your journey with you till eternity.

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