Smita Singh   (@smita)
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Joined 12 September 2020


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2 JUN 2022 AT 14:02

प्रेम हूं मैं,
मैं ही विश्वास
त्रुटियों में मैं नहीं, छवि छमादान
सहनशीलता और सदा समझ भाव में, हूं विद्यमान
अंत नहीं मैं,अनन्त है मेरा परिणाम।

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2 JUN 2022 AT 12:08

तो वो किसी हाल में दूसरे का न होता।

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1 MAR 2022 AT 19:32

मोहन सी प्रीत , महादेव सा साथ हो।
दो धाराएं मिले और एक ही प्रवाह हों।।
मिलन से संगम बन जाएं, जैसे प्रयाग हों।
जब टूट जाए मोह धरा का, अंतिम विदा में बनारस का प्रेम घाट हो।।.....

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31 DEC 2021 AT 17:03

नए उमंग का हैं आगाज़
चलो खुद को नया अंदाज देते हैं।
यादों में ज़ख़्म नहीं, सिर्फ़ खुशियों को ख़िताब देते हैं।
अधूरी ख्वाहिश नहीं ,दिल को नया ख़्वाब देते हैं।
मिटती लकीरों को, फिर से साज़ देते हैं।
अनसुनी खामोशियों से भरा हैं जो, फिर उन्हें आवाज़ देते हैं।
बिखरें लब्जों को , फिर से अल्फ़ाज़ देते हैं।
उड़ते रहे जो लहज़े में ,ऐसे परिंदों को परवाज़ देते हैं।
बन मुसाफ़िर बेहतरीन खुद को नाज़ देते हैं।
सफ़र में हर मंज़िल से मुलाकातें होती रहें, जिंदगी को ऐसा सरों-ताज़ देते हैं।।...

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29 DEC 2021 AT 1:52

Life! is not for dreams and desires..💫
It's most reliable to yourself..❤️

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21 DEC 2021 AT 13:43

वो ख़्वाब जो अधूरे रह गए,
हसफ़र बन सफ़र के वादे कुछ यूं बिखर गए।
साथ बीते वो लम्हें यांदो में रुला गए ,
तेरे साए में गुज़रे हर पल मेरे ज़हन में समा गए।।
ख्वाहिशों के सिलसिले में रास्ते बदल गए,
चाहतों के आशिया में कुछ यूं ठहर गए।
जज़्बात, खामोशियों में सिमट गए,
यूं तो रहा नहीं कुछ, फिर भी तुम अक्स बन मुझमें ही रह गए।।

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14 DEC 2021 AT 14:26

नाराज़ तो हम भी हुए हैं, लेकिन सलिके से
हमारे लहज़े में कभी ,आप सा मैं न आया।
ख़िदमत थी आपकी, लेकिन हमने भी लुटाया हैं
सबाब-ऐ-बेहिसाब तरीक़े से
पर हमारे ज़हन में कभी, आप सा हिंसाब-ऐ-उलफ़त न आया।।

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14 DEC 2021 AT 10:32

sometimes things get messy & complicated to handle nobody feel your expressions, at this times best way to have calm and silent and wait for right time.Maybe things alright...💫

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4 DEC 2021 AT 1:13

पसंद नहीं, प्यार हों तुम
ज़िक्र नहीं, इजहार हों तुम
हमारे महफ़िल-ऐ-इश्क के किरदार हों तुम
आखिरी नहीं, पर पहली बार हों तुम।।— % &

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30 AUG 2021 AT 14:43

सर्वत्र विद्यमान ऐसे विश्वास है
जिनके नाम मात्र से होता सुख का आभास है।
दी जो प्रेम की परिभाषा वो अनंत है
मिला है जन्म इन्हीं से और इन्हीं में अंत है।।

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