SMILE PLEASE   (BADMAN QUOTES)
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Joined 13 January 2018


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22 MAR AT 7:14

तूं सच में क्या है "सादिक," खुद को क्या दिखाता है,
जरा तन्हाई में खुद को देख,सब पता चल जाता है,

मेंरी हसरतें कुछ और,मेंरे कारनामे और हैं,
जो एक पग भी ना चला, कहां मंजिल पाता है,

मैं रुका हुआ पोखर का पानी, मुझ में बस है गंदगी,
बिना रवानगी,दरिया भी,ना सागर पाता है

मैं अंधेरे में गुनहगार,दिन में नमाजी बना तो क्या,
दोहरी फितरत का आदमी, कहां खुदा को भाता है,

देख कमाल-ए-अक्ल अपनी,जो अमल से कोसों दूर है,
गुनाह लफ्जों में पिरो,दुनिया को शायरी सुनाता है,

या मुर्शिद,अब इश्क नही, सिखा तौबा करना,
दिल दावा-ए-इश्क कर,गुनाह में डूब जाता है,

सुना "सादिक" ने है,मेरे "मुर्शिद"तेरी रहमत अजीम है,
जो गुनाह से तौबा करता है,तेरी रहमत को पाता है,


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24 FEB AT 0:36

बुझते अंगारों को, फिर से,हवा दे दी,किसने?
थमते दिल को,फिर से, दवा दे दी,किसने?

सीख गए थे गुल- ए - अरमां,खिजां में,बसर करना,
मुरझाते फूलों को,खुशनुमा फिजा दे दी, किसने?

जी के गुमनाम हमको,था गुमनाम मरना,
कर के मशहूर हमको,सजा दे दी, किसने?

तुम बिछड़ के भी दिल ने बसाई थी दुनिया,
तुम्हे फिर से दिल में जगह दे दी,किसने?

बोले मुर्शिद,आ "सादिक",सब हसरतों को छोड़,
तेरी हसरत है अभी दिल में ,ये सदा दे दी,किसने?


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9 NOV 2023 AT 7:43

कायम थे पंख,खुले थे पिंजरे,
परिंदे फिर भी,कैद से,रिहा ना हुए,

रोशन शमां से आकर,लिपटे परवाने,
जल मरे,लेकिन, जुदा ना हुए,

डूबा सूरज,कमल ने बंद की पंखुड़ी,
आगोश में रहे भंवरे,विदा ना हुए,

क्या कारण है, कि है मेरी शायरी बेअसर,
क्या कायदे, हमसे इश्क में, अता ना हुए,

शायरी कैसी,"सादिक",जिसमे दर्द ए रूह नही,
वो इश्क क्या,जिसमे, खुशी से फना न हुए,

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2 SEP 2023 AT 14:26

मैं तुमको ये बताना चाहता हूं
मैं तुमसे क्या छुपाना चाहता हूं
कभी मुझसे भी कोई झूठ बोलो,
मैं हां में हां मिलाना चाहता हूं
अदाकारियां बहुत दुख दे रही हैं,
मैं सच में मुस्कुराना चाहता हूं,
ये इश्क की अमीरियां तुमको मुबारक,
मै अब खाना कमाना चाहता हूं,
मुझे तुमसे बिछड़ना ही होगा,
मै तुमको याद आना चाहता हूं,
----femi badayuni----

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27 AUG 2023 AT 11:00

दिल की परेशानियों का कोई हल,है तो बता,
हों ये मसले सरल,कोई हल,है तो बता,
ना सुना मुझे,उसके,किस्से,कहानियां,
हो संग उसके जिया,कोई पल,है तो बता,
अकेले ही मिले, राही,इस मंजिल की राह के,
क्या तुझे मिला कोई दल,है तो बता,
है जज्बात, ए कामिल,ना लगा,शायरी के कायदे,
हो विवाद का कोई हल,है तो बता,
दीवानों ने पूछा,"सादिक,"मुर्शिद के खुमार में,
कहां कोई दूसरी शक्ल,कोई है,तो बता

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4 JUL 2023 AT 18:15

कुछ ख्वाब टूटे,कुछ ख्याल खाक हुए,
राख होने से पहले, हम भी कुछ राख हुए,

टटोला हमको हमदर्दों ने, हाथ में ले,खंजर,
कभी कतरा बच गए, कभी पूरे चाक हुए,

ना उग पाए,ना खिले,ना पक पाए,उम्र भर,
ना ली मौज-ए-बसंत, ना दीदार ए वैसाख हुए,

नुकसान कर गई,देखा,मैंने,रहमत की बारिशें,
तुझसे ही हुए मुनकर, जो तुझसे रोशन दिमाग हुए,

हमको ना मिला कहीं,"मुर्शिद",रहमान तुम जैसा,
सोहबत-ए-सादिक में तो, कईं,पाक दामन भी नापाक हुए,

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30 MAR 2023 AT 6:48

बिना बोले जो जान लेते बात दिल की,
फिर लफ्ज़ कहां से लाएं,फरियाद के लिए,

मेरा भला ही हुआ,जो भी किया उसने,
और क्या चाहिए ए दिल,एतमाद के लिए,

बनाए एक ने,बिना फर्क, करे इश्क सबसे,
क्यों बंट गए इंसान,यहां फसाद के लिए,

बात दिल की, जुबां की,कर्म की थी,साहेब,
हमने उठा ली तलवारें,जिहाद के लिए,

जिनको इश्क है,उनको क्या फजर क्या ईशा,
हर वक्त,हर सांस है,"सादिक"उनकी याद के लिए,

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29 MAR 2023 AT 10:23

हो के बर्बाद,दिल ने तुझको पुकारा होगा,
तेरे सिवा,अब मेरा कौन, सहारा होगा

गुरुर मिजाज रहा ताउम्र,ना कर सके सजदा,
बगावती तेरा किसे,सिवा तेरे,गवारा होगा,

टूटते तारों से होगी ना,कोई मन्नत पूरी,
तेरी नजरों से गिरा,अंबर से उतारा होगा,

किश्ती मझधार में डुबो गई,हसरतें मेरी,
नाखुदा की सुन,ना फिर दूर किनारा होगा,

तुनको की चोट से घबराए, न तोड़िए धागा,
उनके हाथों में बंधा रह,अंबर मेरा सारा होगा,

नाफरमानियों ने ही किया है,मेरा "मुर्शिद" रुसवा,
कर के आदम,"सादिक," तभी दर घर से निकाला होगा

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27 MAR 2023 AT 15:11

ना हो पाएगा हमसे,जो असल में है,"हज"
मेरे पैरों में,तेरी राह चले,वो जान नही है,

गम इसलिए जहां भर के रखें,हमसे वास्ता,
मेरे लबों पर, वो निश्छल मुस्कान नही है,

ना होली,ना बसंत है,ना रोशनी,ना दीवालियां,
ना पूनम,ना सक्रांति,कोई रमदान नही है,

उम्र बीत गई,हमें,मस्जिद को गए हुए,
कानों ने सुना अभी,आजान नही है,

बस चल रही है सांसे,पर तूं कोई मुर्दा है "सादिक,"
तेरा दीन लापता,जिंदा ईमान नही है

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16 JAN 2023 AT 16:52

बुरे से बुरा जिंदगी का हश्र करते हैं,
नेकी छोड़,रुख गुनाहों की तरफ करते हैं,

हैं बदनीयत,करें नेकियों की अदाकारी,
धोखे में खुद को ही रखने का,हुनर करते हैं,

वो तो मासूम हैं,जिनको हम लगते हैं हयात,
हम तो हलाहल हैं, हलाहल सा असर करते हैं

ठगे ना जाना,हमराही, कि है लफ्जों में असर,
बना के अपना, हम सुपुर्द-ए-नश्तर करते हैं,

दर पे आकर तेरे,क्या नजर करें,तुझे,"सादिक
असबाब-ए-एब ए "मुर्शिद," तेरे नजर करते हैं

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