Sirvi Nisha Choudhary  
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Sirvi Nisha Choudhary
Joined 26 February 2020


Sirvi Nisha Choudhary
Joined 26 February 2020
14 JUN 2020 AT 18:15

मेरे भटके हुए मन का
तू किनारा बन गया

मेरे बिखरे हुए दिल का
तू सहारा बन गया

मेरी जिंदगी में तू आया है
कुछ इस तरह-2

जैसे कब्र में पड़ी लाश को
सांसो का सहारा मिल गया

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6 JUN 2020 AT 19:18

दिल के सारे अरमान बता रही हूं तुम्हें
अपनी ख्वाहिशों को सरेआम बता रही हूं तुम्हें
यह शायरी यह ग़ज़ल गीत सब बहाने हैं
सच कहूं तो अपनी जिंदगी में बुला रही हूं

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31 MAY 2020 AT 7:58

कोई शिकायत तेरे दिल में दबी हो जैसे
तूने आंखों से कोई बात कही हो जैसे

हर मुलाकात पर महसूस यही हुआ है
मुझसे कुछ तेरी नजर पूछ रही हो जैसे

एक लम्हे में सिमट गया है सदियों का सफ़र
जिंदगी हवा सी तेज चल रही हो जैसे

इस तरह तुझे सोचता रहता हूं
मेरी हर सांस तेरे नाम लिखी हो जैसे

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11 MAY 2020 AT 14:00

जिंदगी की राहों में नया मोड़, नई रफ्तार आ गई|
मेरे लिखी कहानियों में तुम सी एक किरदार नयी आ गई

जिस शहर को एक मौसम देकर छोड़ गए थे
इस पर कुछ हवा की शोकियो संग बाहर नयी आ गई

मेरे दिल की झील को बूंद-बूंद कर सुखा गए थे
इस कल की बारिश से झरनों में फुहार नयी आ गई

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6 MAY 2020 AT 15:24

वही ज़िद वही याद,
ना दर्द में कुछ कमी हुई,,
मेरी मोहब्बत भी अजीब थी,,,
ना मिल सकी ना खत्म हुई,,,,

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25 APR 2020 AT 20:18

तुझसे पहले लाख आरजू थी दिल को
कोई आरजू ना रही तेरे आने के बाद

मौत से पहले जीना सीख लो
यह मौके नहीं मिलते मर जाने के बाद

राह-ए-नेकी से जो हटेगी नहीं उम्र भर
जन्नत पाएगा जेफ जमाने के बाद

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24 APR 2020 AT 17:37

डूब जाने का जिसमें खतरा है
ऐसे दरिया को पार मत करना

देख तौबा का दर खुला है अभी
कल का तु इंतजार मत करना

मुझको खंजर ने यह कहा है एजाज
तू अंधेरे में कभी वार मत करना

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19 APR 2020 AT 20:26

इश्क ने हमें कुछ इस कदर बेनाम कर दिया
कि हर खुशी से हमें अंजान कर दिया
हमने तो कभी नहीं चाहा था की हमे भी मोहब्बत हो ..
हमने तो कभी नहीं चाहा था की हमे भी मोहब्बत हो..
लेकिन ,आपकी एक नज़र ने हमे नीलाम कर दिया

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15 APR 2020 AT 17:11

कभी दूर तो कभी क़रीब था
मैं उसका और वो मेरा नसीब था
ना कभी खत्म ना कभी कम हुआ
प्यार भी हम दोनों का कितना अजीब था

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12 APR 2020 AT 8:53

लगा ऐसे जैसे बहुत लंबी कहानी लिख रहा था
मगर देखा तो रेह रेह कर मेरा नाम ही लिख रहा था

उलझता है वो हर एक बात पर अब मुझसे
कभी जो मेरे कहने पर सुबह को शाम लिखा करता था

वही लब बन गए हैं मेरे लिए आज जहर के प्याले
जिन्हें" साहिल "मोहब्बत के कभी में जाम लिखा करता था

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