"सत्य" जो मजदूर,सारे दिन घर बनाता हैं..!वहीं शाम को सिर्फ,एक दिन का राशन घर ले जाता हैं..!! -
"सत्य" जो मजदूर,सारे दिन घर बनाता हैं..!वहीं शाम को सिर्फ,एक दिन का राशन घर ले जाता हैं..!!
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पुस्तकालय एक ऐसा वृक्ष हैं, जहाँ विचारों के फल हर मौसम में लगते हैं।जब किताबें सड़क किनारे रख कर बिकेंगी..!और जूतें कांच के शोरूम में रखकर बिकेंगे..!!तो समझ जाना कि देश को ज्ञान की नहीं,"सत्य" जूतों की जरूरत हैं।। -
पुस्तकालय एक ऐसा वृक्ष हैं, जहाँ विचारों के फल हर मौसम में लगते हैं।जब किताबें सड़क किनारे रख कर बिकेंगी..!और जूतें कांच के शोरूम में रखकर बिकेंगे..!!तो समझ जाना कि देश को ज्ञान की नहीं,"सत्य" जूतों की जरूरत हैं।।
हे माधव!तुम सारथी बनों "सत्य" के भी,मैं भी अर्जुन के जैसें,अपनों से हारा हूं।। -
हे माधव!तुम सारथी बनों "सत्य" के भी,मैं भी अर्जुन के जैसें,अपनों से हारा हूं।।
"सत्य" वक्त के तराजू में,सारे रिश्तें तौलें।मेरा वक्त बुरा था,तो सारे मेढ़क निकले।। -
"सत्य" वक्त के तराजू में,सारे रिश्तें तौलें।मेरा वक्त बुरा था,तो सारे मेढ़क निकले।।
"सत्य" थकें जब कोई राही,तो बैठे कहां..!सबको पेड़ की छांव,नसीब नहीं होती हैं..!! -
"सत्य" थकें जब कोई राही,तो बैठे कहां..!सबको पेड़ की छांव,नसीब नहीं होती हैं..!!
#विद्या बेशक सभी #धनों में प्रधान हैं,पर #पेपर #लीक कराने के मामले में,"सत्य" आज भी धन ही #प्रधान हैं..!! -
#विद्या बेशक सभी #धनों में प्रधान हैं,पर #पेपर #लीक कराने के मामले में,"सत्य" आज भी धन ही #प्रधान हैं..!!
"सत्य" तो यही हैं..!!पिता से ही होता ' सकल संसार हैं।बिना मां कहां कोई घर आबाद हैं।। -
"सत्य" तो यही हैं..!!पिता से ही होता ' सकल संसार हैं।बिना मां कहां कोई घर आबाद हैं।।
शीशा मेरा सबसे"सत्य" मित्र हैं,क्योंकि मैं जब रोता हूँ तो ,,,यह कभी नहीं हँसता हैं।जैसें कि इसदुनियां की आदत हैं।। -
शीशा मेरा सबसे"सत्य" मित्र हैं,क्योंकि मैं जब रोता हूँ तो ,,,यह कभी नहीं हँसता हैं।जैसें कि इसदुनियां की आदत हैं।।
"सत्य" अभी तो और भीभ्रम टूटेंगे..!!मुझें अभीऔर गलत होना बाकी हैं..!! -
"सत्य" अभी तो और भीभ्रम टूटेंगे..!!मुझें अभीऔर गलत होना बाकी हैं..!!
"सत्य" में अपने...दिल के दर्द किस तरह से बयान करूँ। क्यों आख़िर,शब्दों से खींच-तान करूँ।।खामोशियाँ आँखों में बरसती हुई,सुन लें।मुश्किलें हैं बहुत,बता कैसे आसान करूँ।।बोझ जब-जब बढ़ा दुःखों का मन पर।शब्दों ने उन्हें सँभाला अपने कंधों पर।। -
"सत्य" में अपने...दिल के दर्द किस तरह से बयान करूँ। क्यों आख़िर,शब्दों से खींच-तान करूँ।।खामोशियाँ आँखों में बरसती हुई,सुन लें।मुश्किलें हैं बहुत,बता कैसे आसान करूँ।।बोझ जब-जब बढ़ा दुःखों का मन पर।शब्दों ने उन्हें सँभाला अपने कंधों पर।।