लोग हमें बुरे वक्त मैं पास बुलाते और बातें बताते। मगर अच्छे वक्त में याद तक न करते।। किसी ने सही कहा जनाब, हम बुरे लोग हैं। बुरे वक्त में याद आतें।। 😊😊 कुछ भी कहो, हर पल साथ निभाते।।
कई दौर से गुजरा हुँ, मैं इस ज़माने में। मुझे आज भी याद है वोह दिन, जिस रोज़ मैं बैठा था मेहखाने में।। और रूह काप जाती हैं मेरी, उस दिन को सोचकर। जब पता चला, वोह सोया था किसी और के सिरहाने में।।
की तुझे बिन कुछ कहे जाने दिया मैंने। अब और क्या कर सकता हुँ मैं।। अब ये सासें इंतजार में है उस आखिरी मंजिल के। इससे ज्यादा जल्दबाजी और क्या कर सकता हुँ मैं।।
की तेरी अस्कों का खेल, मेरी निगाहें समझ ना सकी। क्युकी तेरी निग़ाहों को दिल ने अपनी निगाहें माना था।। हाँ, सही सोचा आपने। मैंने बाकियों से जादा उसे अपना माना था।।