Siddhant Shekhar Singh  
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Joined 25 August 2017


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Joined 25 August 2017
2 SEP 2019 AT 22:42

भारी पत्थर दिल पर रखकर रहने वाले
मिसरा बाहर बहते बहते रो देते हैं

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25 AUG 2019 AT 14:39

एक तड़प के पागलपन में ऐठे...कितने!
घुटना माथे लगते लगते रो देते हैं

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23 AUG 2019 AT 17:36

आँखों में देखना सीख जाओ तुम
अब मदद को और भला कहाँ लिखें!

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4 AUG 2019 AT 21:35

मुझे हसाया, मेरा दर्द भुलाया, मुझे खुद पे भरोसा करना सिखाया
ओ साथी, ओ रे हमदम, ओ जानेमन,किताबों तुम्हें दोस्ती हो मुबारक

खुशी का मुझको याद नहीं पर कभी दर्द में उसने मेरा साथ न छोड़ा
ओ री आँखें,तुझसे अब तक बहे जितने आँसूं, उन्हें दोस्ती हो मुबारक

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27 JUL 2019 AT 21:42

वो चेहरे सूख गए किसी माली बिना
फूलों के जड़ बंजर थे, दिल में नमीं थी

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25 JUL 2019 AT 0:49

ऐसा हुए इक अरसा बीत गया कि होंठ-आँख इक साथ हंसें
क्या सच में बड़की माई एक परी कुएं से इक दिन आएगी!

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19 JUL 2019 AT 1:02

कुछ किताब से इतना ज्यादा जुड़ जाते हैं
दर्द किसी का पढ़ते पढ़ते रो देते हैं

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16 JUL 2019 AT 7:13

किसी का दिल का अच्छा कहना बहुत अखरता है
याद दिलाता है किसी का मतलबी अपनापन

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13 JUL 2019 AT 22:05

एक ख्वाब देखा चाहा कि हकीकत हो
ख्वाब ये कि तुम मुझसे खुल के मिलती हो

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6 JUL 2019 AT 15:45

खा खाकर थक जाता हूँ मन नहीं भरता
जाओ खाना ही ले आओ जरा घर से

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