Sid_earth ;  
369 Followers · 6 Following

__rrr__(´⊙ω⊙`)→ rare} real} rude !!

fickle ;-/
Nyctophilia (-_-;)
Joined 3 March 2020


__rrr__(´⊙ω⊙`)→ rare} real} rude !!

fickle ;-/
Nyctophilia (-_-;)
Joined 3 March 2020
21 NOV 2022 AT 20:01

प्रिय,
"दुःख हमें ढूंढ़ ही लेते हैं"

पर तुम देखना,
एक रोज़_
हम भी ढूंढ़ ही लेंगे
विलुप्त होते सुखों का पता!

ठीक वैसे_
जैसे ढूंढ़ लेती हैं,
बाबजूद तेज़ बारिश के_
कहीं टूटे मकानों में
गिलहरियां_
अपने घरोंदे;
___________

-


10 JUL 2022 AT 21:39


ये बाद में समझ आता है
किसी का साथ चलना
किसी का साथ होना_
दोनों अलग बातें हैं।

मालूम है मुझे भी उम्र भर
कोई साथ नहीं रहता।
पर उम्र भर किसी की
कमी जरूर खलती है।
_________________

-


25 JUN 2022 AT 21:36

औरों की तरह
मैं ईश्वर से तृप्ति नहीं मांग रहा था
और ना ही झोली भर लाए
पापों को गंगा में
उड़ेल देना चाह रहा था!
यद्यपि मैं
अपने जीवन के
पुण्यों को न्योक्षावर कर
बदले में
तुम्हारे साथ तुम्हारे शहर में (बनारस में)
एक शाम बिताना चाह रहा था।
_______________________

-


21 JUN 2022 AT 15:08


प्रेम में कोई बन्धन नहीं,
कोई शर्त नहीं_
पर इतना विश्वास होना
आवश्यक है। कि,
जो मेरे पूछने पर
सामने से हर बार
मुकर जाता है।
वह 'लड़का' मेरे बाद भी
मुझे ही चाहेगा।
सिर्फ़ मुझे ही!
_________________

-


4 JUN 2022 AT 21:40

______________

-


3 FEB 2022 AT 20:56


मैं अक्सर
निरुत्तर हो जाता हूं।
तुम पूछती हो ना
मुझसे कितना प्रेम है तुम्हें?

सम्भव था मैं देता
इसका जबाव भी तुम्हें।
परंतु_
मेरी जान!
प्रकृति ने
अभी तक नहीं सौंपे
जीव के हाथ__
"प्रेम की पैमाईश के पैमाने"
_____________________

-


4 JAN 2022 AT 13:58


मेरी जान!
बात जब भी
तुम्हारी आएगी।
मैं तर्पण नहीं;
मोक्ष नहीं_

भटकाव चुनूंगा!
प्रेम चुनूंगा!

मैं हर बार चुनूंगा
'जीना'
___तुम्हारे साथ__
"एक और नया जीवन"।
___________________

-


2 SEP 2021 AT 10:07

उदास लड़कियां;
बताती हैं_
'आकाश'
कितना
मौन
हो सकता है,

..उदासी में हसती
लड़कियां
बताती हैं।
'धरती'
कितनी
सहनशील
हो सकती है।

-


18 AUG 2021 AT 20:14

मैं अक्सर सोचता हूं;
मेरी आख़िरी कविता_
किस पर लिखी जाएगी.?!
ये आखिरी कविता,
किसी के आखिरी प्रेम में पनपे नरम
पल्लवों को ओस बनकर ठंडक देगी,
या फिर क्रांति की बात करते हुए,
धानी परिधान ओढ़े_
स्वयं को आग के हवाले कर,
शहादत ले लेगी।
अथवा ब्रम्हांड के किसी अन्य,
अनछुए भौतिक आयाम को_
परिभाषित करने के लिए
अपने शब्द निःसंकोच बिखेर देगी।
और अमरत्व ले लेगी।

तब मौन आंखों से,
इन्हीं प्रश्नों के झंझावतों
से निरुत्तर होकर_

मैं तुम्हारी तरफ़ देखता हूं।
"और फिर_ मुस्कुराता हूं!"

-


17 AUG 2021 AT 18:55

मैं हिन्दू हूं,
और तुम मुसलमान_
पर अब हम दोनों ही
एक जैसे हैं।
नहीं, इसलिए नहीं कि_
हम दोनों ही इंसान हैं।
बल्कि इसलिए
कि अब हम दोनों ही
एक जैसे ही,
"कट्टरवादी" हैं!
____________

-


Fetching Sid_earth ; Quotes