जो लोग जीवित माता-पिता को दुख देते हैं वही लोग उनके जाने के बाद पितृ-दोष के हवन कराते रहते हैं और उन लोगों को लगता है कि उस हवन से पितृ शांत/खुश हो जाते हैं अरे दिल तो ज़िंदा लोगों के होते हैं मरने के बाद तो आत्मा भगवान से मिल जाती है फिर तो सिर्फ़ कर्मों का हिसाब ही होगा