मैं अपने वक़्त से कुछ वक़्त चुराता हूं तुम्हारी यादों संग कुछ वक़्त गुजारने के लिए पर ना जाने क्यूँ वक़्त नहीं मिलता उस वक़्त के साथ थोडा वक़्त गुजारने के लिए
तुम आए नहीं अभी तक इन्तेज़ार में कई रात डूबी है नशे में की हुई तुम्हारी हर बात झूठी है सिर्फ तुमसे मिलने की चाह में सारी क़ायनात मुझसे रूठी है रूठी है क़ायनात तो रूठने दो मुझे तेरी यादों की एक और रात जरूरी है
अब जिंदगी ये खेल खिला रही है के उसकी याद में रोजाना शराब पिला रही है बुरी किस्मत का आलम ये है हमारी कि लोग अगली पर जा रहे है और हम अपनी पहली ना भुला पा रहे है