क्या लिखूँ आज,
दिल के अल्फाज
या इस दिमाग के विचार..
इस संसार मे प्रेम
या इस समाज कि घृणा...
क्या लिखूँ मैं..
मेने जो आधी दुनिया देखी वो
या मेरे से बडो के अनुभव जो मेरे विचार धाराओं से अलग है,
इस संसार के लिए कुछ करने का जज्बा
या इस रुडी वाद कलयुग का कडवा सच,
क्या लिखूँ मैं...
वो स्त्री की वास्तविकता
जो सहिष्णु है जो ममता से परीपुर्ण है
या उसी स्री का शक्ति रूप
जो क्रोध स मे विध्वंसक है,
कि कलयुग के पुरुष का पुरूषत्व
जो छल कपट के घमंड से भरा है
या वो पुरूष जो स्री का सम्मान करता है,
समान मानता है और जो स्री के अस्तित्व को उभारता है...
क्या लिखूँ मैं अब
मै खुद के अंदर के सवालों में गुम रहता हूँ आजकल..
सवालों के जवाब भी हर किसी के अलग,
खुद के विचारों से द्वंद्व रहता है मेरा
अब लगता है जेसे सवाल मेरा है जवाब मेरा जीवन और ये अनुभव करने वाली रुह।।
बोत कुछ कहना है, कुछ जवाब मिल जाए और मैं लफ्ज़ो में बयां करूं, तब तक इंतजार कर लेना मेरा भी शायद आपको भी आपने सवालो का जवाब मिल जाए ..!!
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