Shreeramnam satyahai   (Shreeramnamsatyahai)
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Joined 23 July 2020


Joined 23 July 2020
11 FEB 2022 AT 23:55

जय श्रीकृष्ण!🙏

मौसम के हालातों का क्या।
आज़कल के वादों का क्या।

बनते हैं साथी सुख-दुःख में साथ निभाने का।
खाते हैं कस्में साथ जीने, साथ मर जाने का।
भरते हैं दम हरदम हंसने और हंसाने का।
वक़्त ज़रूरत पर बचके निकल जाते हैं।
मौसम ना बदले, वो लोग बदल जाते हैं।
लोग हैं, लोगों की बातों का क्या।
आज़कल के वादों का क्या...🌻

मतलब के रिश्ते, मतलब के घराने हो गये।
मतलब की दोस्ती, मतलब के याराने हो गये।
मतलब के आंसू देख मगरमच्छ भी दंग हुआ।
रंग बदलते इंसान देख गिरगिट ख़ुद बेरंग हुआ।
दिल में दग़ाबाज़ी-मतलब जिनके,
उन मैत्री हाथों का क्या।🤝
आज़कल के वादों का क्या...🌱— % &

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10 FEB 2022 AT 23:57

जय श्रीकृष्ण!

उम्र तो ढल जानी है,
शौक से ढलता रहने दो।
दिल की आवाज़ सुनो,
दिल को सच्चा रहने दो।
दिल को बच्चा रहने दो।

क्या साथ लेकर जाना, किस बात का रोना है।
ये दौलत-शोहरत इक दिन माटी होना है।
ये सोना-सोना तन माटी का खिलोना है।
जैसे हो अच्छे हो, ख़ुद को अच्छा रहने दो।
दिल को सच्चा रहने दो..
दिल को बच्चा रहने दो...

दो दिन की जवानी है, दो दिन की कहानी है।
सूरत को ना सवारो, सूरत ढल जानी है।
दुनिया में रह जानी बस एक निशानी है।
दुनिया में तेरे बाद तेरी चर्चा रहने दो।
दिल को सच्चा रहने दो..🐒
दिल को बच्चा रहने दो...🌱

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9 FEB 2022 AT 23:49

Jay Shree Krishn!🙏

The world is getting sugar free.
The 'Love' is about to die.
The animosity is doing rock.
No booster talk,
No beater talk,
No hooter talk,
No hater talk,
No sour say,
Lesser say,
Better say,
Greater talk,

Sweeter say,🍬
Sweeter talk,🍫
Something walk,
Eating choc.🍭🌱

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8 FEB 2022 AT 22:38

जय श्रीकृष्ण!🙏

तुमने मुंह खोला, तुम्हारा परिचय।
हमने कुछ बोला हमारा परिचय।।

कुत्तों का भौन्-भौन्,भौन् परिचय।
हाथी का शान्तचित्त मौन परिचय।।
अभिव्यक्ति का वस्त्र विनय।🌹

मिलती है हर क्रिया की प्रतिक्रिया।
कभी प्रिया होती है, कभी अप्रिया।
हां का भी शुक्रिया, ना का भी शुक्रिया।
बाज़ियों में कभी जीत की हार होती है,
कभी हार की जय।🌱

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8 FEB 2022 AT 22:35

जय श्रीकृष्ण!🙏

तुमने मुंह खोला, तुम्हारा परिचय।
हमने कुछ बोला हमारा परिचय।।

कुत्तों का भौन्-भौन्,भौन् परिचय।
हाथी का शान्तचित्त मौन परिचय।।
अभिव्यक्ति का वस्त्र विनय।🌹

मिलती है हर क्रिया की प्रतिक्रिया।
कभी प्रिया होती है, कभी अप्रिया।
हां का भी शुक्रिया, ना का भी शुक्रिया।
बाज़ियों में कभी जीत की हार होती है,
कभी हार की जय।🌱

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7 FEB 2022 AT 23:24

जय श्रीकृष्ण!🙏

प्रेम में बस सबेर ही सबेर है।
प्रेम का अंकुर फूटने की देर है।

फिर ना काली रात होगी,
फिर ना ढलती शाम होगी,
प्रेम में देर है, नहीं अंधेर है।
प्रेम का अंकुर फूटने की देर है।

दर्द भी न्यारे लगने लगे,
आंसू भी प्यारे लगने लगे,
प्रेम में कनई भी कनेर है।
प्रेम का अंकुर फूटने की देर है।

जिसे गुलाब की तरह खिलना होगा,
ऊसे कांटों के साथ खेलना होगा,🌹
प्रेम में 'बेर भी केर' है।
अंधे के हाथ भी बटेर है।
प्रेम का अंकुर फूटने की देर है।🌱

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7 FEB 2022 AT 16:57

जय श्रीकृष्ण!🙏

ऐसे लोग कहां मरते हैं।
जो स्व साधना करते हैं।

प्रदेश-प्रदेशान्तरों में, देश-देशान्तरों में,
लोक-लोकान्तरों, जन्म-जन्मान्तरों में,
अमित-अनन्त सफ़र करते हैं।
ऐसे कण्ठ कहां मरते हैं।
जो स्वर साधना करते हैं।
इस कण्ठ को 'लता मंगेशकर' कहते हैं।
ऐसे लोग कहां मरते हैं...🎼
💐ॐ शान्ति ॐ🌱

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6 FEB 2022 AT 23:36

जय श्रीकृष्ण!🙏

इत्तेफ़ाक की बुनियाद पर बने रिश्ते की उम्र क्या।
बिन जाने,बिन मुलाक़ात पर बने रिश्ते की उम्र क्या।
बेमिसाल चौदह साल से अटूट रिश्ता।🤝

मिस्ड कॉल से शुरू रिश्ता दोस्ती का।
अनाहद आनन्द हिस्सा ज़िन्दगी का हिस्सा।
मोबाइल के संवाद पर बने रिश्ते की उम्र क्या।
चौदह साल का अनथक कमाल का किस्सा...🤝

फ़रेब और स्वार्थ पर बने रिश्ते की उम्र क्या।
घ़ात और प्रतिघ़ात पर बने रिश्ते की उम्र क्या।
जैसे रेत का क़िला,
जैसे पानी का बुलबुला।🤝

रिश्ता स़ब्र का, रिश्ता फ़िक्र का।
रिश्ता विश्वास का, रिश्ता अ़हसास का।
बिन देखे,अज़नबी जज़्बात पर बने रिश्ते की उम्र क्या।
चौदह साल से शालीन सिलसिला।🤝
🌱...जय श्रीकृष्ण!🙏

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6 FEB 2022 AT 0:22

जय श्रीकृष्ण!🙏

कराए सीयहरण का प्रण,
कराए हंस-हंस चीरहरण,
सजाए महाभारत का रण,
ऐसी उपहासी ना मेरी वाणी हो।
हे! स्वरदेवी,
हे! देवी सरस्वती,
मुझको ऐसी गीताभाषी वाणी दो।

ज्ञान, विद्या, बुद्धि, विनय दो।
ओज़स्विता,आरोग्य,अभय दो।
संयम, सेवा, शील, श्रद्धा हृदय दो।
आंखों में मेरी करुणा का पानी हो।
हे! पुस्तकधारिणी मुझको ऐसी मृदुभाषी वाणी दो..

असत् से सत् की ओर लय दो।
तम् से जोत् की ओर प्रश्रय दो।
मृत् से अमृत् की ओर गमय दो।
मेरे बाद जगत् में मेरी कहानी हो।
हे! हंसवाहिनी,मुझको ऐसी अमृत वाणी दो..

परपीड़ा के पात्र भरे, ना ऐसी मेरी वाणी हो।
टुकड़े-टुकड़े राष्ट्र करे, ना ऐसी मेरी वाणी हो।
राष्ट्र का सम्मान हरे, ना ऐसी मेरी वाणी हो।
'राष्ट्र प्रथम' मेरी हर वाणी की राजधानी हो।
हे! वीणावादिनी,मुझको ऐसी विवेक वाणी दो..🌱

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3 FEB 2022 AT 23:46

जय श्रीकृष्ण!🙏

साल में तीन सौ पैंसठ बार दिन ये आए।
ऐसे ही हर दिन बार तू रहे हंसे-मुस्काए।
आरोग्य मिले, दीर्घायु मिले, समृद्धि बढ़े।
ओजस्वी हो, तेजस्वी हो, यश-कीर्ति बढ़े।
सुख-सम्पन्नता मिले, ख़ुशी-प्रसन्नता मिले,
तू जस बढ़े तस तेरी ज्ञान, विद्या, बुद्धि बढ़े।
तुझसे दूर ना हो कभी विवेकानन्द के साये।🌱

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