जय श्रीकृष्ण!🙏
कराए सीयहरण का प्रण,
कराए हंस-हंस चीरहरण,
सजाए महाभारत का रण,
ऐसी उपहासी ना मेरी वाणी हो।
हे! स्वरदेवी,
हे! देवी सरस्वती,
मुझको ऐसी गीताभाषी वाणी दो।
ज्ञान, विद्या, बुद्धि, विनय दो।
ओज़स्विता,आरोग्य,अभय दो।
संयम, सेवा, शील, श्रद्धा हृदय दो।
आंखों में मेरी करुणा का पानी हो।
हे! पुस्तकधारिणी मुझको ऐसी मृदुभाषी वाणी दो..
असत् से सत् की ओर लय दो।
तम् से जोत् की ओर प्रश्रय दो।
मृत् से अमृत् की ओर गमय दो।
मेरे बाद जगत् में मेरी कहानी हो।
हे! हंसवाहिनी,मुझको ऐसी अमृत वाणी दो..
परपीड़ा के पात्र भरे, ना ऐसी मेरी वाणी हो।
टुकड़े-टुकड़े राष्ट्र करे, ना ऐसी मेरी वाणी हो।
राष्ट्र का सम्मान हरे, ना ऐसी मेरी वाणी हो।
'राष्ट्र प्रथम' मेरी हर वाणी की राजधानी हो।
हे! वीणावादिनी,मुझको ऐसी विवेक वाणी दो..🌱
-