Shree   (A journey of thoughts)
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Joined 8 June 2021


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21 APR AT 18:42

तुम दूर रहना

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21 APR AT 17:58

ख़ानाबदोश जिंदगी नये
मंजरों की खुराक लेती है,
जीने देने से पहले
खुद एक बार जी लेती है,
जवां हो लेती है,
ना कहती बस ख़लिश
दफन कर देती है,
थोड़ा और जोर से हंस कर
उनकी गमों से ठने रहते है,
घुमंतू नये रास्तों पर चल कर
तथागत बनने निकलते हैं।

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14 APR AT 23:28

दरवाजे से खिड़की के बीच
शर्म, लाज, शालीनता की कड़ी

खिड़की से दरवाजे तक बिछी
प्रतीक्षा, प्रतिकार, परीक्षा की घड़ी

अचरज में ठनी मन की मन से
क्यों ना बनी अपनी होकर अपनों से!

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14 APR AT 23:15

कब तक उतारते यूं ख़्वाब पन्नों पर करने होंगे रतजगे
आफ़त.. मुहब्बत को मौत भी मुल्तवी नहीं है साहिब,

डटी-टिकी रहती, हौसलों की झाड़ पर रहे फुदकती
फिरे अतरंगी आजमाइशों में इत-उत बिफरी बहकी हुई!

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13 APR AT 23:14

शब्दों से अनबन सी थोड़ी,
थोड़ी सी बकझक है!

कारण ना उसने पूछा है,
ना मैंने मन में ठाना,

अब इस चुप्पा-चुप्पी में
भी थोड़ी बातें ज़रुरी है

हंसे कभी, कभी इतराये..
ख़ुदा की नेमत, कह पाते!

ख़फ़ा कभी सोचे ढ्ढढड़ सी
सच्चाई से है समझ बड़ी..!

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11 APR AT 23:12

रंग दो एक कि
रंगों के ढंग समझ नहीं आते!
दर्द से पूछती है
कहानियां मेरी कि मौन क्यों?
शिथिल क्यों पड़ी
आवाज़ सुन की अनसुनी क्यों!
हालांकि एक यकीन
कि उम्र गुजार दे तेरे इंतज़ार में।
अस्ताचल के सूरज सा
सिर झुका अरमान सो ही जाते हैं
जवां हो अंगराई भरते
हर सुबह तेरी याद से फिर जागते हैं!

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9 APR AT 16:54

कह दूं स्नेह
पूछ लूं समय
या रहूं मौन

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8 APR AT 23:19

रुक कर पढ़ लो
कुछ लिखा है तुम्हारे लिए,
एक बार सुनो तो
कुछ कहना है तुम्हारे लिए,
गिरह की पोटली
खोलकर, हां सब तुम्हारे लिए,
बची कहानियों के गुच्छे
संग बांधी है रुई सी यादें...
ठहरो कुछ पल कि अब है
मेहरबानियों की थाती तुम्हारे लिए।

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7 APR AT 17:57

"Be here, don't go!"

"Life demands me to go,
To make things show"

"No, no.. please don't go!
'us' wont live if you go..
Some mercy.. please! "

"What I want you don't know!
Sssshh.. coz you don't dream.."

"Wait! I don't want now to
be a forever dream, don't go!"

"Ssshhh.. keep quiet, let me grow,
Wait.. till a perfect moment shows!"

"No... No... Till eternity I'll wait..
However, "tonight won't come back."

"Hold on, you don't understand me
Neither follows whatever I wish..."

"All here and I am whole..
Asking for your time & presence!"

"You keep waiting... I won't change,
You keep waiting... I won't be back!"

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6 APR AT 23:40

किससे करें शिकायत..
किसकी लगाए अर्जियां?
बेमौत मरती सांसों की
कहां सजाएं अर्थीयां?

हर रोज बारूदी व्यंग्यों में
दब कर सहमती है आस,
बुने हुए सपने अनंत में अच्छे..
दुनियादारी से अनभिज्ञ भले

ये होता... तो अच्छा होता...
ना हुआ... और ना भ्रम टूटा,
ज्यादा मिन्नतों की दुआएं
कर्ज में धूमिल होती रहती है!

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