शिवम् गुप्त   (शिवम् गुप्त)
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Joined 5 September 2019


Joined 5 September 2019

स्त्री को आजादी दे दो,
वो सबसे पहले कपड़े उतारेगी;
पुरुष को आजादी दो,
वो भी यही करेगा।

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कसूर करता है इंसान
बदनाम होती है जाति

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गंग भरे केश पर
भुजंग धरे कंध पर
भंग की उमंग में
तंड है रचाए चंद सजे मुकुट में
अंब रचे भृकुटी में
छंद हैं स्कन्द युक्त
रंग चढ़े भक्ति में मुंड है नचाए
उमंग बढ़े शक्ति में
दंग सब पतंग देख
बजरंग रूप धाय द्वंद्व ठने असुर कभी
फंद फसें सुर सभी
क्रंद में हैं इन्द्र जब
अड़ंग शिशु शूल से फसंद हैं सुलझाए
अपंग किये त्रिशूल से
मुंड जोड़ मंतग का
वक्रतुंड बनाए। चामुंड के निर्वाण में
भरुंड मचा ब्रह्मांड में
मुंड गिरा कुंड मध्य
प्रचण्ड है मचाएं।।

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प्रेम में धोखा खाए हुए लोग,
लौटते हैं, मूल प्रेम में ,करके अहसास
कहां?
मां के पास

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अधिकांशतः लोग अच्छे या बुरे नहीं होते हैं,
वे सिर्फ होते हैं अपने ' होने के ' महत्व का
प्रदर्शन करने के लिए

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21 OCT 2023 AT 12:56

बदला लेने की जिद में
वो इतना गिर गए,
कि खुद ही बदल गए

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21 OCT 2023 AT 12:26

आज के युग में चोरी करने का
मुख्य औजार ' लालटेन' है।

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30 SEP 2023 AT 14:07

पहाड़ पर था, नीचे देखा,
तो सब छोटे दिख रहे थे;
फिर नीचे आकर देखा पहाड़ पर,
तो सब छोटे दिख रहे हैं।

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28 SEP 2023 AT 13:40

मुझको भी देखकर ,युवतियां मुस्काती हैं;
स्नेहिल नज़रों से पास बुलाती हैं।
मां तू चाहती है,
मैं दुल्हन व्याह कर लाऊं;
हर कीमत देकर डोली सजाकर लाऊं।
आने को वो तैयार है,
सम्मान मांग रही है;
नाम उसका आजादी है मां,
बलिदान मांग रही है।।

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जब संसद गालियों से गूंजने लगे
तो समझो लोकतन्त्र
अपने निकृष्टतम स्तर पर है।

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