Shivani Gupta   (Shivani gupta)
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Joined 15 August 2020


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Joined 15 August 2020
3 NOV 2023 AT 13:13

जब ज़िंदा रहने पर जिंदगी में क्या चल रहा है कोई नहीं पूछता
तो फिर क्यूँ लोग मौत की वजह पूछता है।।

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24 OCT 2023 AT 8:59

की कितनी दफा आपके सामने घुटने टेके है ज़रा याद रखना
याद रखना की अपने मोहब्बत की हज़ारों दलिले दी है..
बहुत गुरेज किया है, बस पता नहीं था की आपके अदालत में बेपनाह इश्क़ करने पे बेबुनियाद सुनवाई होती है..
याद रखना तुम ज़िन्दगी तुम बंदगी तुम आंसू तुम मुस्कान तुम ही दिन और रात हो मेरी
तुम धड़कन तुम मीत तुम प्रीत तुम संगीत हो मेरी..
कुछ फैसले हक़ में हो ना हो पर याद रखना आँखों में काली पट्टी लगाने से अंधेरा होता है रात नहीं होती..
याद रखना की मोहब्बत की है उस हद तक जहां हद खत्म हो जाती है
की वक़्त रहते कदर हो तो मौत भी सुहानी लगती है वरना ज़िन्दगी जहन्नुम जैसी बेगानी लगती है..
याद रखना की कही देर ना हो जाए
और क्या क्या दलिले दू अपनी मोहब्बत की याद रखना की आपका मेरे रास्ते तक आने तक कही मेरा रास्ता बदल ना जाए कही मुझे मौत ना आ जाए..

"याद रखना की तुम सुहानी याद हो मेरी,भरोसा है तुम अपना बनाओगे मुझे याद रखना बस याद रखना"।।

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19 OCT 2023 AT 12:14

अब,कोई भी किसी भी बात पे हस्ता है
तो लगता है की वो मुझपे हस रहा है...

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15 OCT 2023 AT 23:33

मैंने मोहब्बत की कई किताबें पढ़ी है
हर किताब के हर पन्ने पे बस दर्द लिखी है।।

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16 SEP 2023 AT 11:51

Man under se bechain bda
Aas bhi tuti tuti hai
Kisse dil ki baat kre
Ye duniya sari jhooti hai.. 😔

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14 APR 2022 AT 23:01

कि कोई ऐसा पल नहीं जिसमे मैं तम्हे याद नहीं करती
बेशक तेरे दिल पे आहट होती होगी
जरूर हिचकिया भी तुझे आती होगी __

कि कुछ इस तरह मेरे हाथों कि लकीरें बदल रही है
कहीं ना कहीं तेरे लकीरों से जुड़ती होगी
कुछ करवटे तेरी लकीरें भी लेती होगी __

कि मुकम्मल होगा हमारे इश्क़ का सफर इक रोज
हमारे रास्ते जरूर अलग - अलग ही होगी
पर मंजिल हमारी बस एक ही होगी __

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11 APR 2022 AT 11:54

कि कुछ यूँ दूरियों में गुजर गयी ज़िन्दगी
बा खूब पता चला कब रात कब सुबह हुई..
कभी गर्दिशो के बादल कि छाओं में तुम
तो कभी मैं अपनी परेशानियों में उलझी रही..
चाहत तो उस हद तक एक थी
कि मैं तुम में थी तुम मुझमे कहीं..
हमारी मंजिल तो एक होके भी रास्ता अलग था
जख्म पैरों में और दिल बेचारा बेबस था..
दूरीया बहुत नहीं था बस एक दरार था
बेड़ियों से बंधे हाथ में तुम्हारा हाथ था..
आसान बहुत था उन बेड़ियों को तोडना
पर इश्क़ हमारा स्वार्थी नहीं जो अपनों का दिल तोड़ता..
उन तकिये ने क्या कमाल बेबसी में साथ निभाया
तन्हाई में कभी मेरे तो कभी उसके आँसू को सुखाया..
जितनी दफ़ा मंजिल को करीब पाया
किस्मत और वक़्त ने अपना जाल फैलाया..
कि पास थे फिर भी दूर थे
कुछ कमजोर थे कुछ मज़बूर थे..

!!कि कुछ यूँ दूरियों में गुजर गयी ज़िन्दगी
कि कुछ यूँ दायरों में लिपट गयी ज़िन्दगी!!

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27 MAR 2022 AT 22:35

दुनिया कि,
इतनी बेचैनी,इतनी उल्फत इतनी ख्वाहिशे इतने अरमान
कैसे सब कुछ सहते हो__
इतना सारा बोझ मन में लेकर
"बाबा" फिर भी कैसे खुश रहते हो__

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15 MAR 2022 AT 18:49

प्यार में होने का मतलब ये नहीं की
इश्क़ मुक़्क़मल हो..
आप उनके और वो आपके हो __

जब तक उनके आँखों में रातें ना ख़त्म हो
और उनकी बाहों में सुबह ना हो..
तब तक ना वो आपके,ना आप उनके हो__

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20 FEB 2022 AT 20:01


तेरी मोहब्बत ने मुझे इतना कमजोर कर दिया
की मैं खुद से अब बेबसी महसूस करने लगी हूँ
मैं खुद से बहुत डरने लगी हूँ __

इक समय था, मोहब्बत में हिम्मत थी, जज़्बात था
अब इंतजार से रुस्वा होने लगी हूँ
मैं खुद से बहुत डरने लगी हूँ __

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