Shivanand Mishra   (shiva soul)
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Joined 18 June 2017


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Joined 18 June 2017
8 JUL 2022 AT 21:49

जिंदगी दो तरह की होती है,
किसी गांव के किसी रसूखदार के बेटे को,
शहर की किसी अप्सराई प्रतिबिंब से प्रेम होता है,
और फिर गांव में मान दिलाने की जद्दोजहद होता है ।

दूसरा गांव का लड़कपन प्रेम,
जो हर दोपहर दसना बिछाए किसी पेड़ के नीचे,
उसके संग शहर जाने के बड़े कड़वे सपने संजोता है।

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12 MAY 2022 AT 18:42

दुनिया बदलने निकले घर से, बीस की उम्र में ।
साली लगी कमर दर्द करने, तीस तक ही में ।।


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2 MAY 2022 AT 23:52

तीस और तन्हाई, साठ और सूनापन ।
बाकी कुछ नहीं है, उम्र का अपनापन ।।

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7 APR 2021 AT 14:01

जो क्रिकेटर बनना चाहते थे
वो अब देख भी नहीं पा रहे ।
और जो साथ साथ कमेंट्री करते थे
वो अब बिना बोले जिए जा रहे ।।

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28 JAN 2021 AT 23:40

जिस पूरी सिक्ख जाति को जो हम सब खालिस्तानी बोल रहे हैं,
जितनी तुम्हारी हड्डियां नहीं है उससे ज्यादा उनके बलिदानों की गाथा है ।

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18 JAN 2021 AT 0:14

अपने शहर के अल्लाहपुर में हिंदू रहते,
और रामबाग में मुसलमान।
सबने कुंभ मेले में मिलकर वर्षों,
किए जाने कितने स्नान।।

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6 JAN 2021 AT 3:47

व्यर्थ विचारों का समुंदर इतना गहरा है कि रात भर

यूट्यूब पर नकली बारिश की कल-कल सुन्नी पड़ती है ।

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19 DEC 2020 AT 1:07

Idea to Chai ki tapri se shuru hota hai,

Starbucks me to bas rejection milta hai.

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16 DEC 2020 AT 1:31

उम्र का तकाजा है की घरवाले बजवानी चाहते हैं शहनाइयां,
दिल दहल जाता है सोच कर पीछे की वो सारी छोटी-बड़ी नाकामियां ।

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17 JUL 2020 AT 20:17

वक्त था , ठिकाने थे
बेफिकरी थी, दिवाने थे
कुछ दोस्त थे, अफ़साने थे
मंजिल थी, बेगाने थे
सफ़र था, गाने थे
अब समय है, कोई ख्वाईश नहीं
सपने है, पर गुंजाईश नहीं
दर्द है,पर आजमाईश नहीं
जुबां पे लगाम है, रहाईश नहीं
मन है, पर फरमाईश नहीं

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