Shivam Dubey   (꧁༒SHivaM༒꧂)
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Welcòme ťò My Pròfile. 🙏🙏
Joined 25 June 2019


Welcòme ťò My Pròfile. 🙏🙏
Joined 25 June 2019
10 JAN 2021 AT 17:20

कोरे सफ़ेद पन्ने वाली मैं वो किताब हूँ,
जिसमें ना तो अध्यायवार सूचियां हैं ना ही पृष्ठ संख्या,
जिसमें ना तो प्रस्तावना हैं ना ही सारांश,
जिसमें रहने वाले हर किरदार को अपनी,
कहानी की रचना स्वंय करने का अधिकार हैं !!
यह उस पर निर्भर करता हैं कि वह,
अपना दायरा कहाँ तक सीमित रखना चाहता हैं,
एक पन्ने तक, एक अध्याय तक या,
किताब के प्रारंभ से लेकर आखरी पृष्ठ तक !!

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7 AUG 2020 AT 20:05

बचपन में जिस अँधेरे से डर लगता था...
आज उन अँधेरों में रहने से सुकून मिलता हैं...

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7 AUG 2020 AT 19:37

सोचता हूँ इस जहाँ से उस जहाँ चलूँ...
"पर उस जहाँ में भी सुकून हैं"...

~ये सबूत तो मिले🙂

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14 NOV 2019 AT 20:37

वो वक़्त हमारा बहुत ही खास था,
जब हमारा बचपन हमारे पास था !!

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24 OCT 2019 AT 18:54

हम तो तेरी एक झलक देखने के लिए बेरकरार रहते हैं,
और कितना खुशनसीब हैं वो आईना जो तुम्हे हमेशा देखते रहता है

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1 OCT 2019 AT 21:25

::~ज़िंदगी में चाहे कुछ भी हो जाए~
‌‌ पर अपना वजूद बचाए रखना,

::~क्योकिं बगैर वजूद की ज़िंदगी~
जीने लायक नहीं होतीं !!

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1 OCT 2019 AT 21:12

_कभी-कभी हम थक जातें हैं, ये साबित करते-करते की.._
_बेशक हमारा तरीक़ा गलत था, पर इरादा नहीं.._ !!

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22 SEP 2019 AT 20:43

हर कोई कहता हैं..
इश्क़ सिर्फ़ एक ही बार होता हैं..
पर ना जानें क्यों..
तुझ में ऐसी क्या बात हैं..
जब जब तुझ से बात करू..
हर दफ़ा इश्क़ पहलें से ज्यादा हुआ हैं !!

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12 SEP 2019 AT 16:05

लौट आ ऐ "बच्च्पन"
मुझे तेरी याद सताती हैं..
वो दिन भी क्या दिन थे,
माँ-बाप का दुलार,दादा-दादी का पुचकार,
बचकर निकल जाते थें करके गलतियाँ हज़ार,
ख्वाबों का एक मेला था,उमंगों का घेरा था,
बचपन थी ऐसी मानो,जैसे सबकुछ मेरा था,
सुबह का नाश्ता और खाना ना खाने का बहाना,
ना खाने की जिद से माँ को सताना,
छोटी छोटी बातो पर रूठ जाना,
पल में हँसना और सब भूल जाना,
वो दिन भी क्या दिन थे,
लौट आ ऐ "बच्च्पन"..
थक सा गया हूँ इन झूठी "मुस्कानो" से,
अब मुझें फ़िर खुल के हँसना हैं,
मुझे मेरी माँ के "आँचल"में फ़िर से सोना हैं,
इन जिम्मेदारियों के बीच जैसें खो सा गया हूँ,
खुद से ही दूर अब हो सा गया हूँ,
लौट आ ऐ "बच्च्पन"
मुझे तेरी याद सताती हैं..

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12 SEP 2019 AT 9:46

जो लम्हा साथ हैं...
उसे जी भर के जी लेना दोस्तो,

कम्बख्त "ये ज़िंदगी"...
भरोसे के काबिल नहीं हैं!!

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