1222 // 1222 // 1222 // 1222
हजारों तोहमतें हम अपने सर लेकर निकल आये
हुए महफ़िल में उसकी रुसवा तो रोकर निकल आये//1
हंसी लेकर निकलते है सभी दहलीज़ से उनकी
मियाँ इक हम है उनकी गालियाँ सुनकर निकल आये/2
मेरे कंधे पे सर रखकर दरख़्तों ने बहुत बहुत रोया
दिलाएंगे तुम्हें इंसाफ समझाकर निकल आये।।3
वो जिस्मों का पुजारी है कहाँ समझेगा रूहों को
सो उसको जिस्म देकर रूह को लेकर निकल आये।।4
डुबा देगें मेरी आँखों से निकले हिज्र के आँसू
परेशां है समंदर जब से ये कहकर निकल आये//5
लवो को चूम लूँ उसके यही तो चाहती थी वो
मगर हम गाल उसका हाथ से छू कर निकल आये//6
गले का हार, कंगन, झुमके, पायल और मसकारे
अमीनाबाद पूरा बैग में भरकर निकल आये //7
रिजाइन दे रहे हैं नौकरी ए इश्क़ से अब हम
नहीं करनी है ऐसी नौकरी लिखकर निकल आये//8
थीं जिम्मेदारियाँ हम पे कमाने थे शह्र आकर
हुवा यूँ अलविदा हम गाँव को कहकर निकल आये//9
शिवाजी सेन "गोल्ड" गोण्डा ( उ0 प्र0)
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