SHIVA KANT   (SHIVA KANT)
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Joined 11 September 2021


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5 HOURS AGO

सागर की लहरों सी यादें तुम्हारी,
मेरे मन के साहिल पे आती रहीं..!
तुम्हारे ख़्यालों में अनगिनत सवालों में,
सुबह शाम यूँ ही डुबाती रहीं..!

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11 HOURS AGO

मुश्किलें भी आसाँ नज़र आती हैं,
साथ ज़िंदगियाँ जब हमसफ़र संग गुज़र जाती हैं..!

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16 HOURS AGO

नाराज़ है ज़िन्दगी ख़ुद से,
नहीं सुनना चाहती सच्चाई..!

यहाँ बुरे ही भले हैं,
किसी काम की नहीं अच्छाई..!

छोड़ रहे है साथ सभी,
हो रही है जगहँसाई..!

सुख में शामिल साया,
हाय! कैसी प्रभु की माया..!

प्रकाश(तरक्की) की दिशा में,
घटती बढ़ती रही परछाई..!

कर्मों को समझे थे कभी हम,
ख़ुद की गाढ़ी कमाई..!

दौलत के आगे नतमस्तक सभी,
बन गए ज़ालिम कसाई..!

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5 MAY AT 15:19

चाँद मेरा तू धरती पे,आकाश का अंतर्मन..!
तेरी चाहतें मेरे ज़िन्दगी,जैसे खिलता उपवन..!

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5 MAY AT 11:03

सुबह का सूरज खिलती उम्मीदें,
नए जीवन की नई राह है..!

यहाँ सुख पे जलते ज़माने वाले,
ग़म की ग़ज़ल पे वाह वाह है..!

दिखावे के सभी अपने केवल,
माता पिता को असली परवाह है..!

औरों की तरह न झेलें विरह,
गिरह रिश्तों में प्रत्येक अथाह है..!

यहाँ सच के साथी कोई नहीं,
झूठ के गूँगे बहरे गवाह हैं..!

इसलिए ही ज़िन्दगी ज़हन्नुम,
तालिबानी सोच में तबाह है..!

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4 MAY AT 16:37

इंतज़ार में तेरे बीते दिन,
दुनिया में हुए बदनाम..!
छोड़ गया तू तन्हा यूँ ही,
ढलती ज़िन्दगी हुई तमाम..!

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4 MAY AT 13:11

जिंदगी है खुशनुमा तुमसे,इश्क का सफर सुहाना है..!
संग मिलकर प्यारा सा नग़्मा,इश्क का गुनगुनाना है..!

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4 MAY AT 10:36

तकलीफ़ों में गुज़रता जीवन,
नहीं अपनों को एहसास..!
कैसे जियें किससे लगायें,
हम रहमत की आस..!

जज़्बातों की ज़मीं ख़िसकती,
अल्फ़ाज़ों का दरकता आकाश..!
ख़ुशियाँ लूटते डाकू बन अपने,
रिश्तों में फँसे हम उदास..!

अंत निकट नज़र आने लगा,
अरमानों की कँधे पे लाश..!
कब तक रखें ख़ुश उन्हें,
जो हरदम रहें निराश..!

हमारी हार का लगा रहे हैं,
जो पहले से क़यास..!
जीत कर दिखायेंगे उन्हें,
हम तरक्की का प्रभास..!

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3 MAY AT 19:52

खिले चेहरे खिली धूप,
हाय! चाँद सा तेरा रूप..!
बंजर दिल को नमीं पहुँचाता,
तेरी मोहब्बत का कूप..!

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3 MAY AT 13:32

उदासी उल्कापिण्ड जैसी,सुखी जीवन से आ टकराई..!
जीत कर ग़म की ग़र्दिश ने,खुशियों को आँख दिखाई..!

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